सत्य खबर, पंंजाब
जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है, हर पार्टी के नेता और मंत्री वोटर को रिझाने में कसर नहीं छोड़ रहे हैं. पंजाब में भी कैप्टन सरकार ने अपनी सत्ता काबिज रखने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. इनकी पूरी निगाह युवा वोटरो के साथ साथ किसानों पर है. गन्ने की कीमत 360 रुपए करने के बाद पंजाब सरकार ने किसानों को लेकर एक और बड़ा फैसला लिया है. गुरुवार को प्रदेश सरकार की कैबिनेट बैठक में कृषि कानूनों के खिलाफ संघर्ष के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के 104 वारिसों को नौकरी देने का फैसला लिया गया. इसके अलावा दूसरे किसानों के परिवार को रोजगार मुहैया करवाने के लिए भी कह दिया गया है।
सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने वर्चुअल मीटिंग के दौरान कहा कि वो चाहते हैं. कि कृषि कानूनों के खिलाफ हुए प्रदर्शनों में जान गंवाने वाले सभी किसानों के परिवारों को नौकरी दी जाए. सरकारी कर्मचारियों और देश की सुरक्षा के लिए लड़ते हुए जान कुर्बान करने वालों के लिए 21 नवंबर 2002 को बनाई गई नीति में बदलाव के लिए भी मंजूरी दे दी गई है, ताकि किसानों के परिजनों को नौकरी देने में आसानी हो सके. इसके साथ ही इस पर विचार करने के लिए मुख्यमंत्री के आदेशों पर प्रमुख सचिव विन्नी महाजन की अध्यक्षता में कमेटी बनाई गई है. सरकार परिवारिक सदस्यों को माल विभाग और कृषि विभाग में नौकरी मुहैया करवा रही है।
वहीं कैप्टन सरकार के इस फैसले पर संयुक्त किसान मोर्चा के नेता और किसान यूनियन का कहना है कि इसे सरकार का लॉलीपॉप ही माना जा सकता है. क्योंकि अभी तक एलान की गई 5 लाख रुपए की मदद भी ज्यादातर परिवारों को नहीं मिली है. संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से 600 किसानों की मौत होने की पुष्टि की गई है. इसलिए उन सभी के पारिवारिक सदस्यों को नौकरी मिलनी चाहिए।
केंद्र सरकार की तरफ से लागू किए गए कृषि कानूनों के विरोध में किसानों की तरफ से पिछले साल 26 नवंबर को दिल्ली में प्रदर्शन शुरू किया गया था. किसान करीब 9 माह से दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर संघर्ष कर रहे हैं. इस दौरान अब तक 600 किसानों की मौत हो चुकी है. इनमें से ज्यादातर बीमारी के कारण या फिर सड़क हादसों में मारे गए हैं।
किसानों के 31 संगठनों की तरफ से संयुक्त किसान मोर्चा बनाया गया है और इसके आदेश पर ही किसान गांवों में प्रचार के लिए आने वाले सभी नेताओं का विरोध कर रहे हैं। दूसरी तरफ राज्य में बड़े वोट बैंक किसानों को लुभाने के लिए राजनीतिक पार्टियां हर संभव कोशिशें कर रही हैं।
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