सत्यखबर, नई दिल्ली
देश में बहुत से युवा ऐसे हैं जो सिर्फ नौकरी की तलाश में रहते हैं जबकि उनके पास नौकरी से कई गुना ज्यादा पैसे कमाने लायक जमीन भी होती है। जो युवा ऐसा करने के इच्छुक हैं वह इस खबर से बहुत कुछ सीख सकते हैं। तो चलिए बताते हैं उत्तरप्रदेश के अम्बेडकर नगर के रहने वाले हरीश चंद्र सिंह के बारे में जो आर्मी में कर्नल थे। वर्ष 2015 में सेवा निर्वत होने के बाद उन्होंने एक-दो जगह नौकरी की, लेकिन उनका मन नहीं लगा। इसके बाद वे सुलतानपुर में जिला सैनिक बोर्ड से जुड़ गए। इसी दौरान उन्हें कुछ नया करने का ख्याल आया। चूंकि वे किसान परिवार से ताल्लुक रखते थे, इसलिए उन्होंने तय किया कि खेती में ही हाथ आजमाया जाए। तीन साल पहले उन्होंने बाराबंकी में जमीन खरीदी और मल्टीलेयर क्रॉपिंग के साथ फॉरेस्ट गार्डनिंग की शुरुआत की। अभी वे ड्रैगन फरूट, एप्पल बेर, सेब, चिया सीड्स और ब्लैक गेहूं की खेती कर रहे हैं। इससे उनकी तीन गुना कमाई हो रही है। अब उनकी गिनती प्रोग्रेसिव फार्मर्स में होती है। इतना ही नहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मन की बात कार्यक्रम में उनकी तारीफ भी कर चुके हैं।
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60 साल के हरीश चंद्र कहते हैं कि मेरे पिता टीचर थे, लेकिन खेती करते थे और वो भी नई तकनीक से। उनके साथ बचपन में ही मैंने प्लांट लगाना और ग्राफ्टिंग करना सीख लिया था। आर्मी में रहने के दौरान भी मैं प्लांटिंग करता रहता था। इसलिए खेती मेरे इंटरेस्ट की फील्ड थी। मेरी तरफ ज्यादातर लोग पारंपरिक खेती करते थे, लेकिन मेरा फोकस सुपर मार्केट वाले प्लांट पर था। 2018 में मैंने ड्रैगन फरूट और एप्पल बेर के साथ खेती की शुरुआत की। तीन एकड़ जमीन पर 2 हजार ड्रैगन फरूट और 500 के करीब रेड और ग्रीन एप्पल बेर के पौधे लगाए। ये प्लांट मैं नागपुर और हैदराबाद से लाया था। थोड़े दिनों बाद सेब, आडू और आम के भी प्लांट लगा दिए।
हरीश चंद्र बताते हैं कि शुरुआत में यहां के क्लाइमेट को लेकर मन में थोड़ा असमंजस था कि फसल अच्छी होगी या नहीं, लेकिन पहले ही साल अच्छा रिस्पॉन्स मिला। 80 प्रतिशत से ज्यादा प्लांट अच्छी तरह डेवलप कर गए। दूसरे साल से एप्पल बेर के फरूट निकलने लगे। इसके बाद मैंने चिया सीड्स और ब्लैक गेहूं की भी खेती करनी शुरू की। इससे भी अच्छा मुनाफा हुआ।
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हरीश चंद्र को खेती करते अभी ढाई साल ही हुए हैं। इसलिए ज्यादातर प्लांट में फरूट लगने बाकी हैं। एप्पल बेर, काला गेहूं और चिया सीड्स के प्रोडक्शन का लाभ वे ले चुके हैं। जबकि ड्रैगन फरूट और सेब के फरूट इस साल के अंत तक निकलने लगेंगे। तब उन्हें अधिक मुनाफ ा मिलेगा।
बता दें कि चिया सीड्स की गिनती सुपर मार्केट प्रोडक्ट में होती है। बड़े शहरों में भी इसकी मांग अधिक है। खास करके युवाओं के बीच। इसमें फाइबर, प्रोटीन, कार्बोहाइट्रेड, फैटी एसिड, जिंक, विटामिन, पोटैशियम सहित कई मिनरल्स प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। यह इम्युनिटी बढ़ाता है और हमारी हड्डियों को भी मजबूत बनाता है। ज्यादातर लोग वेट कम करने के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं। यह कैंसर और स्किन एजिंग से भी बचाता है। सामान्य तौर पर दिन में दो बार 20 ग्राम तक की मात्रा में चिया सीड्स लेना चाहिए। इसे पानी या दूध में भिगोकर खाना ज्यादा कारगर होता है।
वहीं हरीश चंद्र के मुताबिक अगर कोई किसान कम लागत में अधिक कमाई करना चाहता है तो उसके लिए एप्पल बेर बढिया विकल्प है। इसमें सालभर के भीतर दो से तीन गुना मुनाफा मिल जाता है। इसकी खेती के लिए किसी विशेष प्रकार की जमीन की जरूरत नहीं होती है। बस ध्यान रखने वाली बात ये है कि जहां हम इसकी खेती करें, वहां जलजमाव नहीं होना चाहिए। इसकी ज्यादातर वैरायटी बाहर से लाई जाती है। बाजार में 30 से 40 रुपए में एक बीज मिल जाता है। ड्रिप इरिगेशन विधि से सिंचाई करना इसके लिए सही होता है। दो साल बाद इससे फरूट निकलने लगता है।
यह भी पढ़े… बढ़ते कोरोना संक्रमण के चलते जेजेपी का बड़ा फैसला ,बंद रहेंगे पार्टी मुख्यालय और डिप्टी सीएम आवास, जानिए कितने दिन तकहरीश चंद्र बताते हैं कि ड्रैगन फ्रूट की खेती से किसान बंपर कमाई कर सकते हैं, लेकिन इसकी खेती थोड़ी खर्चीली है। इसके बीज की कीमत भी अधिक होती है और मेंटेनेंस में भी ठीक-ठाक खर्च हो जाता है। साथ ही छोटे शहरों में इसकी मार्केटिंग में भी दिक्कत आती है। हालांकि जिसका मार्केटिंग नेटवर्क अच्छा है, बड़े शहरों और सुपर मार्केट तक पहुंच है, तो फिर इसकी खेती उसके लिए फायदेमंद साबित हो सकती है। मार्केट में एक फरूट की कीमत 100 से 300 रुपए तक होती है। एक एकड़ जमीन पर इसकी खेती से सालाना 10 टन फरूट का उत्पादन हो सकता है। जिससे प्रति टन 8-10 लाख रुपए की कमाई की जा सकती है।
उन्होंने बताया कि ड्रैगन फरूट इम्युनिटी बढ़ाने के लिए, कोलेस्ट्रॉल लेवल घटाने के लिए, हीमोग्लोबिन बढ़ाने के लिए, हृदय रोग के लिए, स्वस्थ बालों के लिए,स्वस्थ चेहरे के लिए, वेट लॉस और कैंसर जैसी बीमारियों को ठीक करने में इसका उपयोग होता है।
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