सत्यखबर, दिल्ली
गृह मंत्रालय ने पेगासस प्रकरण को लेकर कर्नाटक के पूर्वमुख्यमंत्री सिद्धारमैया की शिकायत पर जांच का जिम्मा कर्नाटक सरकार को सौंपा है। मंत्रालय ने कहा कि चूंकि पुलिस और लोक व्यवस्था राज्य का विषय है इसलिए यह जांच राज्य को करनी चाहिए। मालूम हो कि कर्नाटक विधानसभा में विपक्ष के नेता सिद्धारमैया ने 22 जुलाई को राज्यपाल थावरचंद गहलोत के माध्यम से राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को ज्ञापन देकर पेगासस स्पाईवेयर के जरिये देश के कुछ प्रमुख लोगों की जासूसी और निगरानी किए जाने की सुप्रीम कोर्ट के वर्तमान जज द्वारा न्यायिक जांच कराने का आग्रह किया था। उस दिन कांग्रेस नेताओं ने राजभवन तक जुलूस निकालकर राज्यपाल को अपना ज्ञापन सौंपा जो राष्ट्रपति कोविंद को संबोधित था। यह ज्ञापन राष्ट्रपति सचिवालय द्वारा गृह मंत्रालय को भेजी गया। गृह मंत्रालय ने हाल ही में कर्नाटक के मुख्य सचिव पी रवि कुमार को एक पत्र भेजा है। इस पत्र की एक कापी सिद्धारमैया को भी भेजी गई है।
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मंत्रालय ने पत्र में कहा कि चूंकि ‘पुलिस’ और ‘लोक व्यवस्था’ भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत राज्य के विषय हैं, इसलिए संबंधित राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वह अपराध को रोके, पता लगाए, दर्ज करे और जांच करे और इसमें शामिल अपराधियों पर मुकदमा चलाए। राज्य अपने स्वयं के कानून और एजेंसियों के माध्यम से उचित कार्रवाई कर सकता है। सिद्धारमैया के करीबी सूत्रों ने कहा कि वह पत्र पर आपत्ति उठा सकते हैं क्योंकि मामला ‘केंद्र और राज्य के विषय’ से संबंधित है, जिसे केवल केंद्र को संबोधित करना है।
मालूम हो कि 22 जुलाई को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सिद्धारमैया ने राष्ट्रपति को लिखे अपने पत्र में कहा कि देश के लोग यह जानकर हैरान हैं कि इजरायली कंपनी के एनएसओ ग्रुप के पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल करके विपक्षी पार्टी के नेताओं, पत्रकारों, चुनाव आयोग के सदस्यों, केंद्रीय मंत्रियों, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों और देश के अन्य प्रतिष्ठित व्यक्तियों समेत कई लोगों की निगरानी की गई थी।
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