सत्यखबर, जींद
कोरोना के कारण लॉकडाउन लगा तो लोग घरों में कैद हो गए थे। गांवों में लोग घरों से न निकलें, इसके लिए जींद की पंचायतों ने सराहनीय कदम उठाया था। लॉकडाउन के चौथे दिन 27 मार्च को कोरोना से बचाव के लिए बांगर की पंचायतें आगे आई थीं। उचाना एरिया की 32 पंचायतों ने अपने-अपने गांवों में सामूहिक रूप से ताश खेलने, हुक्का पीने पर पाबंदी लगाने का फैसला लिया था।पंचायतों ने गांव में आने वाली रास्तों, गलियों पर युवा पहरा लगा दिया था। गांव में बाहरी व्यक्ति के आने पर उससे गांव में आने का कारण यहां पहरा देने वाले पता करते। अगर उसका गांव में आना जरूरी होता तो उसे आने देते। नहीं तो उसके बाहर के रास्ते ही निकाल देते थे। आने वाले व्यक्ति का नाम दर्ज करने के साथ-साथ गांव में अगर वो जाता था तो उसको सैनिटाइज करते थे।
बड़ौदा गांव में बाहरी व्यक्ति का प्रवेश न हो इसके लिए युवाओं के साथ-साथ गांव की महिलाएं भी पहरा दे रही थीं। गांव में अगर बाहरी व्यक्ति बार-बार जाने की जिद्द करता है तो उससे हाथ जोड़कर गांव में न जाने के लिए अपील करती थी, अगर कोई जोर जबरदस्ती करता तो इसके बारे में प्रशासन को अवगत करवाया जाता था।चीन के बाद अमेरिका, इटली सहित अन्य देशों में कोरोना के हालात बिगड़ने के बाद व्यक्ति में बीमारी को लेकर डर बना हुआ था। जहां पर लोग घरों से निकलने से घबरा रहे थे, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों के अलावा शहरी कालोनियों में जन प्रतिनिधियों के सहयोग से सैनिटाइज किया जा रहा था। ग्रामीण क्षेत्रों में युवाओं के संगठन ने सैनिटाइज करने के साथ गांव में व्यवस्था बनाए रखने में अहम योगदान दिया था। गांवों में जहां पंचायत, युवा ठीकरी पहरा दे रहे हैं।
https://www.youtube.com/watch?v=EynoSTqkUPk&t=14s
Scrap aluminium grading standards Aluminium scrap taxation Metal scrap recovery and reuse