किसानों ने लगाए नमी के नाम पर 300 से 500 रूपए प्रति किवंटल कट मांगने के आरोप
सत्य खबर सफीदों, महाबीर मित्तल
भले ही शासन और प्रशासन किसान की धान की फसल का एक-एक दाना खरीदने के दावे करता हो लेकिन वे दावे वीरवार को उस वक्त धराशायी होते हुए दिखाई पड़े जब एक परेशान किसान ने मंडी में पिछले कई दिनों से पड़ी धान की ढेरी ना बिकते देख उसमें ज्वलनशील पदार्थ छिड़कर आग लगाने की कोशिश की। गनीमत तो यह रही कि आढ़तियों एवं अन्य किसानों ने उसके हाथ से बोतल में भरे हुए ज्वलनशील पदार्थ को छीन लिया तथा किसी तरह से किसान को काबू किया अन्यथा कोई भी बड़ा हादसा घटित हो सकता था। ढेरी को आग लगाने की कोशिश लगाने वाले किसान की पहचान गांव कुरड़ निवासी अमीरबाज के रूप में हुई है। मामले की जानकारी जैसे ही मंडी में लगी तो वहां पर हडकंप मच गया। मौके पर मार्किट कमेटी सचिव जगजीत कादियान व खरीद एजेंसी हरियाणा वेयरहाऊसिंग के अधिकारी पहुंचे और किसान को समझाया-बुझाया। जो खरीद एजेंसी पिछले कई दिनों से पीडि़त किसान का धान नहीं खरीद रही थी उसने आनन-फानन में उसकी धान को खरीदा। इसके अलावा खरीद एजेंसी ने मंडी में भी अन्य किसानों की भी धान खरीदनी शुरू कर दी। किसान अमीरबाज का कहना था कि वह अपनी धान की फसल पिछले कई दिनों से मंडी में लाया हुआ है लेकिन उसे खरीदा नहीं जा रहा। उससे धान खरीदने की एवज 300 से 500 रूपए प्रति किवंटल नमी को आधार बनाकर कट के नाम के मांगे जा रहे थे जबकि उसकी धान पूरी तरह से सुखी हुई थी। वह अपनी धान को लेकर कई बार मार्किट कमेटी के अधिकारियों व खरीद एजेंसियों से मिन्नतें कर चुका था लेकिन उसकी समस्या का कोई समाधान नहीं हुआ, मजबूरन उसे यह कदम उठाना पड़ा।
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एक किसान प्रति किवंटल 300 से 500 रूपए प्रति किवंटल नमी के कट के रूप में देगा तो वह अपना गुजारा कैसे कर पाएगा और कई-कई दिन ढेरी नहीं बिकेगी तो वह अपने खेत व घर के कार्य कैसे कर पाएगा। वही मंडी में मौजूद अन्य किसानों का कहना था कि सफीदों मंडी में धान खरीद व्यवस्था पूरी तरह से चरमराई हुई है। खरीद एजेंसी, मिलर व कुछ बिचौलिए आपस में मिले हुए है तथा धान में फर्जी नमी बताकर किसानों को लूटने का काम कर रहे हैं। खरीद एजेंसियां धान की खरीद में कम सैटिंग में अधिक ध्यान दे रही है। किसानों का यह भी आरोप था कि सफीदों मंडी में किसानों की तो धान खरीदी नहीं जा रही जबकि कुछ व्यापारियों के द्वारा उत्तरप्रदेश से बहुत सस्ते भाव में लाई गई धान को खरीद एजेंसियां रातों-रात खरीद रही हैं। यहां की खरीद एजेंसी व कुछ व्यापारी सरकार को चूना लगाने का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर किसी किसान को ढेरी बेचनी है तो उसे पहले 300 से 500 प्रति क्विंटल बचौलिए को कट के रूप में नकद देना पड़ता है और उसके बाद ही उसकी ढेरी की खरीद रजिस्ट्रर में एंट्री होती है। सफीदों मंडी में सरेआम धान खरीद में धांधलीबाजी व घोटालेबाजी चल रही है। कई किसानों ने कहा कि अगर उनकी धान की फसल नहीं खरीदी गई तो वे भी अपनी धान को अनाज मंडी के अंदर ही तेल छिड़ककर आग लगा देंगे। जिसकी सारी जिम्मेदारी प्रशासन, मार्किट कमेटी व खरीद एजेंसियों की होगी। इस मामले में मार्किट कमेटी सचिव जगजीत सिंह कादियान ने कहा कि मंडी में किसान द्वारा ढेरी में आग लगाने जैसी कोई बात नहीं हुई है। उस किसान की कुछ समस्याएं थी उनको दूर कर दिया गया है। किसान की फसल को खरीद एजेंसी ने खरीद ली है। सफीदों मंडी में धान खरीद का कार्य हर रोज पूरी तरह सुचारू रूप से चल रहा है। किसानों व आढ़तियों को किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं है।
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