सफीदों, महाबीर मित्तल
श्री कृष्णा आर्ट एंड कल्चर सोसायटी द्वारा गांव खेडा खेमावती के रामलीला ग्राउंड में सांग कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि सफीदों बार एसोसिएशन के अध्यक्ष मंजीत बैरागी ने शिरकत की। कार्यक्रम की अध्यक्षता सोसाइटी के सचिव गुरनाम सिंह रामपुरा ने की। इस कार्यक्रम में आए कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियां देकर उपस्थित लोगों का मन मोह लिया। कलाकारों ने गीतों के माध्यम से किस्से, कहानियां व चुटकुले सुनाकर लोगों को भारतीय संस्कृति से आत्मसात करवाया।
अपने संबोधन में मुख्यातिथि मंजीत बैरागी ने कहा कि विलुप्त होती हरियाणवीं संस्कृति को बचाने के लिए संस्था महत्वपूर्ण प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि सांग का उद्भव 1300 ईस्वी के आसपास बताया जाता है तथा सन् 1850 से 1950 तक सांग का स्वर्णिम काल रहा है। उसके बाद सांग की कला आधुनिकता की चकाचौंध में विलुप्त होती चली गई। दादा लखमी चंद ने सांग को जीवित रखने में अपना महत्वपूर्ण रोल अदा किया। उन्होंने कहा कि अब लोग आधुनिकता की चकाचौंध व मोबाइल से उब चुके हैं तथा अपनी पुरात्न संस्कृति की तरफ लौटना चाहते हैं। इस प्रकार के कार्यक्रमों से लोगों को संस्कृति को जानने का मौका मिलता है। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे भारत की महान संस्कृति को बचाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करें। वहीं संस्था के सचिव गुरनाम सिंह रामपुरा ने बताया कि उनकी संस्था ने सरकार के सहयोग से विलुप्त होती हरियाणवीं संस्कृति को पुनर्जिवित करने का बीड़ा उठाया है। इस अभियान के तहत क्षेत्र के गांव-दर-गांव हरियाणवीं सांग करवाए जा रहे हैं। कार्यक्रम के अंत में अतिथियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।
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