सफीदों, महाबीर मित्तल
गौशालाओं में गौ उत्पादों को तैयार करके उन्हे आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है। इस बार होली के पर्व पर गाय के गोबर से हर्बल रंग तैयार किए गए है। लोगों को चाहिए के वे इन रंगों को प्रयोग करके होली का त्यौहार मनाएं। यह बात हरियाणा गौसेवा आयोग के चेयरमैन श्रवण कुमार गर्ग ने पत्रकारों से बातचीत में कही। उन्होंने बताया कि गऊमाता के गोबर से तैयार किए गए रंग पूरी तरह से कैमिकल मुक्त है और इनको लगाने से त्वचा को कोई हानि नहीं होगी। इन रंगों में कई अन्य प्राकृतिक उत्पाद मिलाए गए हैं। उन्होंने बताया कि फिलहाल कुछ गौशालाओं में ये रंग बनाए गए हैं और आने वाले कुछ वर्षों में प्रदेश की सभी गौशालाओं में हर्बल रंग तैयार किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि इससे पहले दीपावली पर आयोग द्वारा गाय के गोबर से दीए भी तैयार किए गए थे। उन दियों को लोगों ने खरीदकर अपने घरों को जगमग किया था। इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए अब होली पर गाय के गोबर से हर्बल रंग व लकड़ी बनाई गई है। होली पर इन रंगों व होलिका दहन के लिए लकड़ी लेने के लिए लोगों में काफी उत्साह देखने को मिला है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने हरियाणा में गौसेवा आयोग को एक नया जीवन दिया है। पिछली सरकार के कार्यकाल में गौसेवा आयोग का गठन तो हुआ परंतु गौवंश के संवर्धन और संरक्षण पर कोई कार्य नहीं किया गया। वर्ष 2014 में भाजपा की सरकार बनते ही राज्य सरकार द्वारा हरियाणा गौवंश संरक्षण एवं संवर्धन अधिनियम 2015 लागू किया गया, जिसके सकारात्मक परिणाम दिखाई दे रहे हैं। सरकार द्वारा गौवंश के संरक्षण व संवर्धन की दिशा में किए गए कार्यों के परिणामस्वरूप गौहत्या पर अंकुश लगा है। वहीं सड़कों पर बेसहारा घूमने वाली गायों की संख्या में भारी कमी आई है।
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