सत्य खबर, चण्डीगढ़
फूड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (Food Corporation of India) हर साल राइस मिलों से चावल खरीदता है. लेकिन कई मिल संचालकर FCI को पुराना या मिलावटी चावल भेज देते है. इस समस्या से निजात पाने के लिए FCI ने एक नई तकनीक शुरू कर (new rice identification technology) दी है. जिससे पुराने और मिलावटी चावलों को बड़ी आसानी से पहचाना जा सकता है. साथ ही उन चावलों को राइस मिलर्स के पास वापस भेजकर उचित कार्रवाई की जा सकती है.चावल पहचाने की तकनीक से FCI को काफी फायदा हुआ है. जिसके चलते FCI ने 2200 मीट्रिक टन चावलों को मानकों के अनुसार खरा नहीं उतरने पर वापस मिल संचालकों को बेज दिया गया. साथ ही भविष्य में ऐसा करने पर ब्लैक लिस्ट कर कार्रवाई करने की चेतावनी दी है. वहीं इस बारे में FCI के डीजीएम रीजन प्रदीप सिंह ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि FCI राइस मिलर्स की ओर से चावलों की खरीद शुरू कर चुका है. लेकिन इस बार चावलों को पहले एक नई तकनीक के जरिए टेस्ट किया जा रहा है और उसके बाद ही चावलों की खरीद की जा रही है.
कैसे होती है पुराने या मिलावटी चावल की पहचान: प्रदीप सिंह ने बताया कि इस नई तकनीक के माध्यम से हमें यह पता चल जाता है कि चावल नया है या पुराना है. अगर चावल 3 महीने से ज्यादा पुराना है तो हमें इसके बारे में जानकारी मिल जाती है और हम उस चावल को वापस भेज देते हैं. नई तकनीक के बारे में जानकारी देते हुए प्रदीप सिंह ने बताया कि हम राइस मिलर्स द्वारा भेजे गए चावल का सैंपल लेकर उसमें एक केमिकल मिलाया जाता है. केमिकल मिलाने के बाद अगर उस केमिकल का रंग हरा रहता है, तो इसका मतलब है कि चावल नया है और FCI उस चावल को स्वीकार कर लेता हैं. लेकिन अगर केमिकल का रंग पीला या गुलाबी हो जाता है तो इसका मतलब है कि चावल पुराना है या मिलावटी है, ऐसे चावलों को FCI स्वीकार नहीं करता और उन चावलों को राइस मिलर्स को वापस भेज दिया है.
प्रदीप सिंह ने बताया कि अभी तक एफसीआई की ओर से 14 मीट्रिक टन चावलों की खरीद की जा चुकी है. जिसमें से 2,200 मीट्रिक टन मानकों के अनुसार नहीं पाया गया. या तो यह चावल पुराने थे या इन चावलों में मिलावट की गई थी. इसीलिए इन चावलों को वापस भेज दिया गया है. साथ ही राइस मिलर्स को भविष्य में ऐसा करने पर ब्लैक लिस्ट करने की चेतावनी दी गई है. FCI द्वारा भेजे गए चावलों से राइस मिलर्स को आर्थिक नुकसान का भी सामना करना पड़ेगा, क्योंकि उन चावलों को रिजेक्ट कर दिया गया है. अब उन चावलों को बाजार में भी नहीं भेजा जा सकेगा. इस तरह से यह नई तकनीक FCI के लिए बेहद कारगर साबित हुई है, क्योंकि अब FCI आसानी से पुराने और मिलावटी चावलों की पहचान कर पा रहे हैं.
प्रदीप सिंह ने बताया कि इस बार FCI की ओर से 37 लाख मिट्रिक टन चावल खरीदने का लक्ष्य रखा है. जिसमें से 20 लाख मैट्रिक टन फोर्टीफाइड राइस खरीदें जाएंगे. फोर्टीफाइड राइस का मतलब है. इसमें विटामिन युक्त कृत्रिम चावल मिलाए जाएंगे ताकि लोगों में कुपोषण की समस्या को दूर किया जा सके.
क्या होते हैं फोर्टीफाइड राइस: फोर्टीफाइड राइस के बारे में प्रदीप सिंह ने बताया कि यह कृत्रिम चावल होते हैं. जिनमें विटामिन और फोलिक एसिड मिलाया जाता है और फिर इन्हें 1 फीसदी की दर से सामान्य चावलों में मिला दिया जाता है. ताकि जब लोग इन चावलों को खाएं तो उनमें कुपोषण की दर को कम किया जा सके. साथ ही उन्होंने बताया कि यह चावल प्राकृतिक चावलों से कुछ अलग होते हैं. कई बार लोग इन्हें प्लास्टिक का नकली चावल समझ लेते हैं, जबकि ऐसा नहीं है. यह चावल पूरी तरह से सामान्य है और स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है.
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