सत्य खबर ,नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को अपने नए मंत्रीमंडल का विस्तार किया। जिसमें कई नए चेहरों को मंत्री पद की शपथ दिलवाई गई। जिन 43 कैबिनेट मंत्रियों को शपथ दिलाई गई इनमें 15 ने कैबिनेट मंत्री की शपथ ली और 28 ने राज्य मंत्री की शपथ ली है। माना जा रहा है कि पीएम मोदी ने ये मंत्रीमंडल विस्तार 2022 में पांच राज्यों में होने वाले चुनाव के मद्देनजर किया है। मंत्रीमंडल में कई युवाओं को भी पीएम मोदी ने शामिल किया है। आइए जानते हैं आखिर कैबिनेट मिनिस्टर और राज्य मंत्री को एक महीने में कितनी सैलरी मिलती है। मंत्री बनने पर सांसद को क्या-क्या सुविधाएं मिलती है।
कैबिनेट मिनिस्टर को कितनी मिलती है सैलरी एक कैबिनेट मंत्री को मूल वेतन के रूप में 1,00,000 रुपए मिलते हैं। इसके अलावा मंत्री को निर्वाचन क्षेत्र भत्ता 70,000 रुपए, कार्यालयी भत्ता 60,000 रुपए और सत्कार भत्ता 2,000 रुपए मिलता है। राज्य मंत्रियों को 1,000 रुपए प्रतिदिन और डिप्टी मंत्री को 600 रुपए प्रतिदिन सत्कार भत्ता मिलता है।
कैबिनेट मंत्री को मिलती हैं ये सुविधाएं
कैबिनेट मंत्री को संसद सदस्य की तरह की यात्रा भत्ता/यात्रा सुविधाएं, रेल यात्रा सुविधाएं, स्टीमर पास, आवास, टेलीफोन सुविधाएं, और वाहन क्रय के लिए पहले ही भुगतान किया जाता है। अगर किन्हीं कारणों से लोकसभा भंग हो जाती है तो लोक सभा के सदस्य लोसभा भंग होने से गठित होने की डेट तक इन्हें बिजनी, पानी, टेलीफोन संबंधी सुविधाएं मितनी रहती हैं। यानी कि लोकसभा भंग होने पर भी वो सरकारी खर्च पर बिजली, पानी और टेलीफोन का प्रयोग कर सकते हैं। राज्यमंत्री को सुविधाएं कैबिनेट मंत्री के बराबर मिलती है। पूर्व केंद्रीय मंत्रियों को पेंशन, नि:शुल्क रेल यात्रा सुविधा, चिकित्सा सुविधाएँ, दिवंगत सदस्य की मृत्यु के समय आश्रित को उसे मिलने वाली पेंशन का 50 प्रतिशत और नि:शुल्क स्टीमर सुविधा मिलती है।
जानिए कैसे तय होती है सैलरी
बता दें 2018 तक सांसद अपने वेतन संसोधन के लिए कानून पारित करते थे, लेकिन इसके चलते भारी विवाद होता था। इस समस्या का निवारण करते हुए पिछली मोदी सरकार में 2018 में फाइनांस एक्ट, 2018 के जरिए कानून में संशोधन किया गया। इस एक्ट के अनुसार सांसदों के वेतन, दैनिक भत्ते और पेंशन में हर पांच साल में बढ़ोतरी किए जाने का प्रवाधान किया गया। इनकम टैक्स एक्ट, 1961 मे दिया गया लागत मुद्रास्फीति सूचकांक इसका आधार होगा।
केंद्रीय मंत्रीमंडल में तीन प्रकार के मंत्री होते है
भारत के केंद्रीय मंत्रीमंडल में तीन प्रकार के मंत्री होते हैं, कैबिनेट मंत्री , राज्य मंत्री और राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)। कैबिनेट मंत्री पहले नंबर पर कैबिनेट मंत्री होते हैं जिन्हें कैबिनेट के सदस्य मंत्रीमंडल का हिस्सा रहते हुए मंत्रालय का नेतृत्व करते हैं। कैबिनेट मंत्री के पास आवंटित मंत्रालय से संबंधित विभाग की पूरी जिम्मेदारी होती है। ये कैबिनेट बैठक में शामिल हो सकते हैं। वहीं कैबिनेट इनको मंत्रालय और विभाग से संबंधित मुद्दों पर तलब कर सकता है। राज्य मंत्री ( स्वतंत्र प्रभार) वहीं राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार जिन्हें जूनियर मंत्री भी कहा जाता है, वैसे तो ये कैबिनेट मंत्री को रिपोर्ट नहीं करते हैं लेकिन तीसरे नंबर पर आते हैं। इनके पास राज्यमंत्रियों के पास आवंटित मंत्रालय और विभाग की जवाबदेही होती है। सामान्य तौर पर ये कैबिनेट बैठक में नहीं शामिल हो सकते। स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री विभाग का स्वंतंत्र प्रभारी होता है जो आवश्यक होने पर कैबिनेट मीटिंग में अपने विचार रख सकता है। राज्य मंत्री राज्य मंत्री होते हैं वो कैबिनेट मंत्री को रिपोर्ट करते हैं और उसी संबंधित मंत्रायल की जिम्मेदारी संभालते हैं। राज्य मंत्री कैबिनेट मिनिस्टर के अंडर में काम करते हैं। एक कैबिनेट मंत्री के अंडर में कई राज्यमंत्री भी होते हैं। एक मंत्रालय के अंडर में कई विभाग होते हैं और ये राज्य मंत्रियों में बांट दिए जाते हैं ताकि कैबिनेट मंत्री को अपना संबंधित मंत्रालय संभालने में मदद हो सके।
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