हरियाणा
जिन लोगों ने कभी साथ नहीं दिया आज वे बंशीलाल को गुरू बता रहे हैं : सांगवान
सत्यखबर,चरखी दादरी(विजय ढिंडोरिआ )
पूर्व सहकारिता मंत्री व कांग्रेसी नेता सतपाल सांगवान ने दादरी में कहा कि जिन लोगों ने कभी पूर्व सीएम स्वर्गीय बंशीलाल का राजनीति में साथ नहीं दिया आज वे लोग ही बंशीलाल को अपना राजनीतिक गुरू बता रहे हैं। परिवार में पैदा होने पर राजनीति नहीं सीखी जाती बल्कि लोगों के लिए समाजसेवा करना ही सही मायनों में राजनीति है। वहीं उन्होंने प्रदेश की भाजपा सरकार पर आरोप लगाया कि सरकार ने अपने साढ़े तीन वर्ष के कार्यकाल में इस क्षेत्र को पिछड़ा घोषित करके विकास से वंचित रखा। पूर्व मंत्री सतपाल सांगवान बुधवार को दादरी में अपने निवास पर पूर्व सीएम स्वर्गीय बंशीलाल की पुण्यतिथि आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इससे पूर्व मंत्री सांगवान ने गांव गोलागढ़ में स्व. बंशीलाल की समाधी पर श्रद्धासुमन अर्पित किए। कार्यक्रम में स्व. बंशीलाल के प्रतिमा पर श्रद्धासुमन अर्पित करने के बाद कार्यकत्र्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि सही मायनों में स्व. बंशीलाल ही हरियाणा के निर्माता थे। उनसे प्रेरणा लेकर ही वे राजनीति में आए हैं। उनके बताए मार्ग पर चलते हुए इस क्षेत्र के विकास को लेकर तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में रिकार्ड विकास कार्य करवाए। सांगवान ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री स्व. बन्शीलाल ने सदैव हर वर्ग को साथ लेकर प्रदेश की भलाई व विकास को लेकर कार्य किया था। उनके द्वारा किए गए कामों को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। चौ. बंशीलाल ही उन्हें राजनीति में लेकर आए थे और उनके मरने तक उनकी इच्छा के अनुरूप हर काम मैंने किया है। चौ. बंशीलाल के सपनों को साकार करने के लिए उन्होंने हर संभव प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि वह सतपाल सांगवान ही था जिसने दिल्ली में जाकर बाऊजी का जन्मदिवस राष्टï्रीय स्तर पर मनाने की एक परंपरा शुरु की थी। आज प्रदेश के हर कोने में चौ. बंशीलाल का जन्मदिन मनाने की शुरुआत हुई है, जोकि वास्तव में लौहपुरुष को सच्ची श्रद्धांजलि है। सांगवान ने प्रदेश की भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार ने अपने साढ़े तीन वर्ष के कार्यकाल में इस क्षेत्र को पिछड़ा घोषित मानते हुए विकास से वंचित रखा है। दादरी को जिला तो बना दिया लेकिन धरातल पर विकास के नाम पर कोई ईंट नहीं लगाई। यह सरकार सिर्फ घोषणाओं की सरकार बनकर रह गई है।