रोहतक। केंद्रीय जीएसटी की टीम ने एक बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा किया है। बैंकों के सेमी क्लोज्ड प्रीपेड इंस्ट्रूमेंट (पीपीआई) यानी गिफ्ट कार्ड के जरिए बिना माल बेचे ही मात्र डेढ़ साल में 1500 करोड़ का टर्नओवर दिखा दिया गया। बैंक से गिफ्ट कार्ड कमीशन व डिस्काउंट पर लेकर और पीओएस मशीन पर स्वाइप करके पूरे मामले को अंजाम दिया गया। हैरानी की बात तो यह है कि 22 मार्च से 10 जून तक लॉकडाउन के दौरान जब सब आर्थिक गतिविधियां बंद थी और सिर्फ आवश्यक सेवाएं ही चल रही थी, तब भी 20 फीसदी यानी करीब 300 करोड़ का लेन-देन कर दिया गया। इस फर्जीवाड़े का नेटवर्क देश के हर जिले से जुड़ा बताया जा रहा है। इसके अब तक 10 से 12 लोगों से पूछताछ की जा चुकी है। जीएसटी रोहतक के कार्यालय में 11 जून को एक एक्सपोर्टर पहुंचा। जीएसटी कार्यालय में आए एक्सपोर्टर ने जीएसटी रिफंड के लिए आवेदन किया। जांच टीम ने रिफंड के लिए पोर्टल पर वेरीफिकेशन की तो पता चला कि दिसंबर 2019 में एक्सपोर्टर ने 3 करोड़ 29 लाख रुपए की नॉन जीएसटी भी आवेदन किया हुआ था, जबकि टर्नओवर जीरो थी। एक्सपोर्टर से पूछताछ की तो उसने बताया कि उन्होंने गिफ्ट कार्ड बेचे हैं। किसे बेचने के सवाल पर वह बात को छिपाने लगा, क्योंकि गिफ्ट कार्ड को एक्सपोर्टर ने अपने पीओएस मशीन पर स्वाइप किया था। ऐसे में रैकेट का खुलासा हुआ। इसके बाद अब तक हिसार जिले में ही एक करोड़ रुपए की इनसे वसूली की जा चुकी है। खास बात यह है कि बोगस फर्म बनाकर सिर्फ गिफ्ट कार्ड स्वाइप करके ही इस पूरे मामले को अंजाम दे दिया गया। यानी एक ही रात में 50 लाख रुपए खाते में आने और बाहर जाने के इस कारोबार को लेकर अब बैंक की भूमिका की भी जांच की जाएगी। कार्ड जारी करने वाले ने देशभर के हरेक जिले में गिफ्ट कार्ड सप्लाई करने का खुलासा किया है। जबकि उसकी टर्नओवर कम दिखाई गई है। केंद्रीय माल और सेवा कर आयुक्तालय रोहतक के अंतर्गत हिसार मंडल में आईजीएसटी रिफंड की इस टीम में आयुक्तालय आयुक्त विजय मोहन जैन, सह-आयुक्त सुखचैन सिंह सिद्धू, सहायक आयुक्त सचिन अहलावत, सुपरिंटेंडेंट जोगेंद्र ढुल और इंस्पेक्टर अशोक कुमार शामिल रहे।
हिसार में लॉकडाउन के दौरान बेचे 200 करोड़ के गिफ्ट कार्ड खुलासा हुआ कि लॉकडाउन के दौरान अकेेले हिसार जिले में 200 करोड़ के गिफ्ट कार्ड बेच दिए गए हैं। लगभग 20 प्रतिशत लेन-देन लॉकडाउन के दौरान हुआ है जबकि सभी तरह की आर्थिक गतिविधियां बंद थी। हिसार और फतेहाबाद जिलों में 8 से 10 महीनों की छोटी सी अवधि में वितरकों, नकली फर्मों, मध्यस्थों की ओर से कुल 1500 करोड़ रुपए से भी ज्यादा का फर्जी लेन-देन हुआ है।
इस मामले में सेमी क्लोज्ड प्रीपेड इंस्ट्रूमेंट (पीपीआई) में ट्रेडिंग दो से तीन स्तरों के बीच वितरण शृंखला के माध्यम से 0.2 से 2 फीसदी तक की छूट पर हो रही है। गिफ्ट कार्ड को विभिन्न पीओएस मशीनों पर अंकित मूल्य पर स्वाइप किया गया और मिले फायदे को बिचौलियों के बीच बांट लिया। पीओएस पर इन कार्ड्स को स्वाइप करते हुए कोई बिल नहीं बनाया गया या माल के वास्तविक लेन-देन के बिना बिल बनाया गया।
फर्जी आईडी पर केवाईसी बनाई
इसके लिए केवाईसी की जरूरत थी, ऐसे में फर्जी आईडी पर केवाईसी भी तैयार कर दिए गए। गिफ्ट कार्ड्स को काफी संख्या में लेने के लिए मोबाइल सिम कार्ड्स को जाली दस्तावेजों पर प्राप्त किया गया है। जाली पहचान के लिए फर्जी तरीके से अलग-अलग लोगों के आधार व पैन कार्ड का प्रयोग किया गया है। लॉकडाउन अवधि के दौरान भी स्कूटरों व कारों के लिए पेट्रोल व डीजल की भारी मात्रा में बिक्री दिखाई गई है। यह गिफ्ट कार्ड माल या सेवा की आपूर्ति के लिए भुगतान के लिए स्वाइप किए जाते हैं, परंतु कई स्थानों पर कोई लेन-देन हुआ ही नहीं।
Scrap aluminum lifecycle analysis Aluminium recycling advocacy Metal waste reclaiming center