सत्यखबर
जीएसटी ने एक नया नियम निकाला है। जिसके तहत जोन स्तर और जिला स्तर पर जीएसटी कमिश्नरों से उनके द्वारा रोड साइड चैकिंग कराने के अधिकार वापस ले लिया है। अब अगर प्रदेश में जीएसटी विभाग कहीं चैकिंग करेगा तो वह ड्यूटी उच्चाधिकारियों द्वारा लगाई जाएगी।
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यहां तक कि ईटीओ तक को अपने वार्ड, जिला और इंटर डिस्ट्रिक्ट पर और रोड साइड चैकिंग से भी बैन कर दिया गया है। अब अगर अधिकारियों के पास कोई जीएसटी चोरी का इनपुट आता है तो वह कार्रवाई नहीं कर सकेंगे। इस फैसले के आने के बाद नीचे से लेकर जोनल स्तर तक अधिकारियों को कुछ समझ ही नहीं आ रहा है कि एक्ट में प्राविधान के बावजूद उनके हाथ क्योंकि बांधे जा रहे हैं।
ज्वाइंट कमिश्नर जीएसटी और डिप्टी कमिश्नर जीएसटी दोनों के चैकिंग न करने को लेकर पहले ही आदेश थे मगर अब सोमवार को एक और नया आदेश जारी हुआ है जिसमें ईटीओ को बैन करने जैसा जिक्र किया गया है। इसके साथ ही एईटीओ (इन्फोर्समेंट) के रोस्टर को लेकर भी आदेश जारी किया गया है। हर जिले को कर एकत्रित करने के लिए टारगेट दिया जाता है। अब हिसार को ही लें तो यहां रोड साइड चैकिंग के लिए 2.40 करोड़ रुपये का लक्ष्य है। अगर यहां चैकिंग नहीं होगी तो जुर्माना व कर कैसे वसूला जाएगा। अगर मान लेते हैं कि मुख्यालय ड्यूटी लगाता है तो एईटीओ इन्फोर्समेंट के कंधों पर चैकिंग की जिम्मेदारी रहेगी।
मगर कई जिले ऐसे हैं जहां एईटीओ इन्फोर्समेंट अधिकारियों की संख्या दो या तीन है। पूरे सप्ताह कैसे यह अधिकारी हर समय रोड साइड चैकिंग कर सकेंगे। आम तौर पर एईटीओ अगर कोई गाड़ी पकड़ता है तो उसे निपटान और अन्य कार्यों के लिए दो तीन दिन का समय तो चाहिए ही होता है। ऐसे में यह आदेश कैसे लागू हो सकेगा। सामान्य स्थिति में 24 घंटे जीएसटी विभाग के अधिकारियों की गाड़ियां चैकिंग पर तैनात रहती थी तो ऐसे में टैक्स व जुर्माना भी वाहनों पर लगाया जाता। यह इसलिए संभव था क्योंकि तब ईटीओ चैकिंग पर रहते थे।
ऐसे में जब जोनल कमिश्नर और डिप्टी कमिश्नर अपने ईटीओ की ड्यूटी नहीं लगा सकेंगे तो रोड अक्सर खाली ही रहेगी। क्योंकि एईटीओ तो अपने समय से चैकिंग कर चले जाएंगे बाद में जो समय बचेगा उस समय का फायदा उठाकर टैक्स चोर विभाग से बचकर निकल सकेंगे। कुछ ही हाथों में चैकिंग की पावर सीमित रहने से अधिकारियों को मैनेज करना भी नया आदेश आसान बना देगा।
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