भक्ति योग आश्रम के स्थापना दिवस पर हुआ नए चिकित्सालय का शुभारंभ
सफीदों, महाबीर मित्तल
उपमंडल के गांव सरनाखेड़ी स्थित भक्ति योग आश्रम के 13वें स्थापना दिवस पर नए चिकित्सालय का शुभारंभ हुआ। शुभारंभ कार्यक्रम की अध्यक्षता आश्रम के संचालक डा. शंकरानंद सरस्वती ने की। इस मौके पर स्वामी निर्मलानंद महाराज, स्वामी रामानंद महाराज व साध्वी मोक्षिता का सानिध्य प्राप्त हुआ। वहीं मुख्य वक्ता के रूप में विश्व हिंदू परिषद के केंद्रिय महामंत्री राजबिहारी ने शिरकत की। सभी अतिथियों ने नए चिकित्सालय का शुभारंभ किया। इससे पूर्व पूजन और हवन किया गया। भजन एवं सत्संग के उपरांत भंडारे का भी आयोजन किया गया। चिकित्सालय के शुभारंभ के उपरांत डा. रामेश्वर दयाल कुलश्रेष्ठ (एमडी एक्यू, गोल्ड मेडलिस्ट ) पानीपत एवं उनकी 8 सदस्यी टीम ने आश्रम में आए लोगों को अपनी चिकित्सीय सेवाएं प्रदान करते हुए नस, नाडिय़ों, मांसपेशियों एवं हड्डियों संबंधी कठिन रोगों जैसे सर्वाइकल पेन, सायटिका, कंधों का दर्द, हाथ पैरों का सुन्न होना, चक्कर आना, नसों का दबना आदि का इलाज टेप थेरेपी, एक्यूमसाज, फिजियोथेरेपी व एक्यूप्रेशर चिकित्सा पद्धति द्वारा इलाज किया गया। अपने संबोधन में संतों ने कहा कि भगवत तत्व को जानने की जिज्ञासा का नाम है वेदांत। शरीर और आत्मा के अंतर को वेदांत के माध्यम से आसानी से समझा जा सकता है। जीवन के कर्म और व्यवहार क्षेत्र में हर दिन आने वाले संशयों का हल वेदांत में मिलता है। वेदांत का चिंतन हमारे अंत:करण को निर्मल और पवित्र बनाने का माध्यम है। मनुष्य में कई तरह के गुण-दोष होते हैं। दोषों के निवारण के लिए जीवन में सत्संग और संतों का सान्निध्य जरूरी है। उन्होंने कहा कि भारत विश्वगुरु रहा है। हमें फिर से अपना खोया हुआ गौरव स्थापित करना होगा। संसार में हमने जो भी कुछ हासिल किया है, वह भगवान की कृपा का प्रतिफल है। मनुष्य जीवन परमात्मा का सबसे बड़ा उपहार है। इसका सदुपयोग नहीं करना भी अपराध और पाप की श्रेणी में आता है। स्वामी डा. शंकरानंद सरस्वती ने कहा कि योग, आयुर्वेद एवं आध्यात्मिकता के क्षेत्र में भक्ति योग आश्रम का पिछले काफी वर्षों से अहम योगदान है। उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि जो भी योग, आयुर्वेद एवं आध्यात्म का लाभ प्राप्त करना चाहता है वह नि:संकोच आश्रम द्वारा प्रदत सेवाओं का लाभ प्राप्त कर सकता है। उन्होंने बताया कि अब आश्रम में प्राकृतिक चिकित्सा के साधनों को आधुनिक उपकरणों के साथ और अधिक अपग्रेड किया गया है। जिससे रोगियों को पंचकर्म व भाप स्नान का लाभ भी मिल सकेगा।
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