सत्य खबर, लखनऊ
उत्तर प्रदेश के बनारस स्थित ज्ञानवापी मंदिर-मस्जिद विवाद पर कोर्ट में आज सुनवाई पूरी हो गई। इसके लिए हिंदू पक्ष की ओर से जहां सर्वे रिपोर्ट पेश की गई, वहीं मुस्लिम पक्ष ने प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 का हवाला दिया और कहा कि वे स्थिति यथावत चाहते हैं। इसी तरह दोनों पक्षों ने बारी-बारी से अपनी बातों को रखा। 45 मिनट तक दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद जज ने फैसला सुरक्षित रख लिया। 9 वकीलों और 4 याचिकाकर्ता की मौजूदगी में सुनवाई
इस मामले पर अब फैसला कल यानी कि मंगलवार को सुनाया जाएगा। एक अधिवक्ता ने बताया कि, आज जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में दोनों पक्षों के 19 वकीलों और 4 याचिकाकर्ता कोर्ट रूम में मौजूद रहे। बताया जा रहा है कि, जिला अदालत में सुनवाई को लेकर तगड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई। वहीं, बाहर भी बड़ी संख्या में जवान तैनात रहे। सुनवाई के दौरान भीड़ न लगे, इसका भी ध्यान रखा गया। हालांकि, फिर भी लोगों ने नारे लगाए। अदालत में दोनों पक्षों ने कुल 45 मिनट तक दलीलें रखीं। आज इन मुद्दों पर हुई बहस, कल आएगा फैसला
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अदालत में सुनवाई के दौरान एक पक्ष ने ज्ञानवापी परिसर में मां श्रृंगार गौरी की दैनिक पूजा-अर्चना की इजाजत देने और अन्य देवी-देवताओं को संरक्षित करने की मांग की। वहीं, एडवोकेट कमिश्नर ने ज्ञानवापी की जो सर्वे रिपोर्ट सौंपी, अब उस पर अदालत उस पर कल कोई निर्णय दे सकती है। अदालत यह भी तय करेगी कि ज्ञानवापी मामले में उपासना स्थल (विशेष उपबंध) अधिनियम-1991 लागू होता है या नहीं। यानी यहां, पूजा का अधिकार दिया जा सकता है या नहीं।
दूसरा पक्ष मुस्लिमों का है, उन्होंने भी अपनी दलीलें रखीं। जहां अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की आपत्ति पर सुनवाई हुई। बताया जा रहा है कि, डीजीसी सिविल ने प्रति आपत्ति दाखिल कर दी है। वहीं, सुनवाई से पहले मुस्लिम पक्ष के वकील का बड़ा बयान आया था। उन्होंने कहा था कि अदालत पहले यह तय करे कि यह मामला चलने लायक भी है या नहीं।
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