सत्य खबर, दिल्ली
तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सांसद अभिषेक बनर्जी और उनकी पत्नी रुजिरा को दिल्ली हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को अभिषेक बनर्जी और रुजिरा द्वारा पश्चिम बंगाल में कथित कोयला घोटाले से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग जांच में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से दिल्ली में पेश होने के लिए जारी समन के खिलाफ दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया।
जस्टिस रजनीश भटनागर ने उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उनके खिलाफ ईडी की ओर से दायर शिकायत और उसका संज्ञान लेने वाले निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी गई थी। याचिका में फिजिकल उपस्थिति के लिए याचिकाकर्ता के खिलाफ समन जारी करने को भी चुनौती दी गई थी।
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जस्टिस रजनीश भटनागर ने अपने फैसले में कहा कि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धारा 48 जांच एजेंसी को आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के मामले में क्षेत्रीय रूप से प्रतिबंधित नहीं करती है। कोर्ट ने कहा कि सीआरपीसी स्पष्ट रूप से अपने अधिकार क्षेत्र के प्रयोग के संदर्भ में पुलिस अधिकारियों पर लगाए गए क्षेत्रीय सीमाओं की ओर इशारा करता है और ऐसा अधिकार क्षेत्र उनके संबंधित स्थानीय क्षेत्रों (कुछ स्थितियों को छोड़कर) तक सीमित प्रतीत होता है जो उनके संबंधित पुलिस स्टेशनों के अंतर्गत आते हैं।
अदालत ने आगे कहा कि यह स्पष्ट है कि विधायिका ने एक खास तरह के अपराध से निपटने के लिए एक अलग तंत्र बनाया है और सीआरपीसी में क्षेत्रीय सीमाओं से अवगत होने के बावजूद, विधायिका ने पीएमएलए में उन सीमाओं को शामिल नहीं करने का विकल्प चुना है। दरअसल, सीबीआई ने कुछ लोगों द्वारा पश्चिम बंगाल में किए गए ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड के लीजहोल्ड क्षेत्रों से अवैध खनन और कोयले की चोरी के कथित अपराधों के संबंध में एक प्राथमिकी दर्ज की थी।
इसके तहत ईडी ने नई दिल्ली स्थित हेड इन्वेस्टिगेटिव यूनिट में ईसीआईआर (ECIR) दर्ज किया था। जिसके बाद कोलकाता में रहने वाले अभिषेक बनर्जी और उनकी पत्नी को दिल्ली में पूछताछ के लिए ईडी के सामने पेश होने का निर्देश दिया गया था। जिसके बाद उन्होंने ईडी के समन को चुनौती देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया था और कहा था कि इसकी जांच केवल कोलकाता से संबंधित स्थानीय कार्यालय द्वारा किया जा सकता है। याचिका में कहा गया था कि बनर्जी और उनकी पत्नी दोनों का नाम न तो सीबीआई की प्राथमिकी में है और न ही ईडी की शिकायत में।
बता दें कि दिल्ली हाईकोर्ट ने पहले ईडी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और याचिकाकर्ताओं के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल द्वारा दलीलें सुनने के बाद आदेश को सुरक्षित रख लिया था। याचिकाकर्ताओं ने ईडी द्वारा की जा रही जांच की निष्पक्षता को लेकर गंभीर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था कि यह कार्रवाई सिर्फ उन्हें परेशान करने के लिए की जा रही है जबकि इसके मुख्य आरोपियों को अनुचित लाभ और सुरक्षा दी जा रही है और इसके बदले में उनसे हमारे बारे में झूठे, आधारहीन और दुर्भावनापूर्ण बयान देने को कहा जा रहा है।
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