सत्यखबर, नरवाना (सन्दीप श्योरान) :-
आज के जमाने में जहां कुछ को अपने जीवन की सफलता विरासत में मिल जाया करती है, वहीं कई ऐसे अभागे होते हैं, जिन्हें काफी संघर्ष के बाद भी कुछ हाथ नहीं लगता। जी हां, हम बात कर रहे हैं नरवाना के गांव दनौदा के पर्वतारोही सचिन की, जो प्राय: धन की कमी के कारण सफलता से दूर रहते आए हैं। बेशक, सचिन दनौदा ने ऊंची-ऊंची पहाडिय़ों पर चढ़कर अपने नाम के साथ पर्वतारोही जुड़वा लिया हो, आखिर में विश्व की सबसे ऊंची माउंट एवरेस्ट पर चढऩे के लिए काफी संघर्ष के बाद पिछले वर्ष उसका नंबर पड़ा था। लेकिन अप्रैल, 2020 में एवरेस्ट पर की जाने वाली चढ़ाई के लिए खर्च होने वाले लगभग 30 लाख का प्रबंध अपनी गरीबी के कारण मार्च तक भी वह नहीं कर पाया था। ये तो कोरोना महामारी ने देश-विदेश में अपने पांव पसार लिए, तो वह चढ़ाई स्थगित हो गई। फिर भी इस युवक ने हिम्मत नहीं हारी और अब उसने पीजीआई रोहतक में कोरोना वैक्सीन ट्रायल के लिए स्वयं को समर्पित किया है। सचिन को इंतजार है कि पीजीआई प्रशासन कब उसे इस देश सेवा के लिए बुलाता है। सचिन ने कहा कि ट्रायल के समय यदि कुछ भी अनहोनी हो जाती है, तो वह देश के प्रति दी गई कुर्बानी को अपना सही जीवन जीने का मकसद समझेगा।
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