सत्यखबर, नरवाना (सन्दीप श्योरान) :-
नागरिक संशोधन विधेयक 1947 के घावों पर मरहम पट्टी के समान है, जो कि बहुत समय पहले ही हो जाना चाहिए था। यह कथन केएम राजकीय कालेज के सहायक प्रो जयपाल आर्य ने विधेयक के पास होने पर मची हाय-तौबा पर कही। जयपाल ने कहा कि क्योंकि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से विस्थापित अल्पसंख्यक होने के कारण हिंदू एवं बौद्ध के साथ पारसी, जैन इत्यादि ने बहुत भयंकर त्रासदी का अपमान झेला है। उन्होंने कहा कि यह देश का दुर्भाग्य है कि अपने देश में ही हिंदुओं का अपमान हिंदुओं के द्वारा ही हो रहा है और बाहर अफगानिस्तान, पाकिस्तान व बांग्लादेश में बहुत संख्यक मुसलमान इनका संहार कर रहे हैं। मेरा मानना है कि भारत सरकार ने जो किया है, वह दीर्घकालीन व्यवाहरिक राष्ट्र हित में किया है और सभी राष्ट्र प्रेमियों को इसकी वैधता पर मोहर लगानी चाहिए। दुनिया में भारत एकमात्र ऐसा देश है जहां पर हिंदुओं को सिर ढकने के लिए या रहने के लिए स्थान मिल सकता है। अत: हम भारतीयों का कर्तव्य है कि अपने भाइयों का मान और सम्मान रखते हुए राष्ट्रीय संपत्ति को नुकसान ना पहुंचाएं और राष्ट्र को एक सूत्र में बांधने के लिए सरकार का समर्थन करें।
बॉक्स
भारत देश अल्पसंख्यकों के लिए स्वर्ग
अब समय है उन घावों पर मरहम पट्टी करने का तथा उसमें सभी को सहयोग करना राष्ट्रीय धर्म को निभाने के बराबर है। उन्होंने कहा कि इस देश के अंदर किसी के अधिकारों का हनन नहीं हुआ, बल्कि यह देश तो अल्पसंख्यकों के लिए स्वर्ग है और बहुसंख्यक आज भी दलित और पीडि़त महसूस कर रहे हैं। देश के बुद्धिजीवियों को इस तरफ भी सोचना चाहिए कि क्या दुनिया में कोई और देश है, जहां बहुसंख्यकों को कम अधिकार और अल्पसंख्यकों को ज्यादा अधिकार मिले हुए हैं।
Aluminium recycling quality assurance Aluminium scrap import restrictions Scrap metal recovery and reclaiming