सत्य खबर, नारायणगढ़, (सरिता धीमान)। राजकीय महाविद्यालय नारायणगढ़ में अंग्रेजी विभाग द्वारा आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी की शुरुआत प्राचार्य संजीव कुमार द्वारा की गई। प्राचार्य संजीव कुमार ने मुख्य वक्ता डा. रोशन लाल शर्मा केन्द्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला का स्वागत करते हुए संगोष्ठी में ऑन लाइन माध्यम से भारत के कोने-कोने से उपस्थित प्राध्यापकों एवं शोधार्थियों का स्वागत किया और संगोष्ठी की सारगर्भिता पर प्रकाश डाला। संगोष्ठी की संचालक डा. अपूर्वा चावला ने मुख्य बिंदुओं को उजागर करते हुए समाज में महामारी और युद्ध के मानसिक, शारीरिक, राजनैतिक एवं आर्थिक असर को साहित्य की जरुरत पर अपने विचार रखे।
मुख्य वक्ता डा. रोशन लाल शर्मा ने उल्लेख किया कि किस प्रकार महामारी और युद्ध के दौरान मानवता विचलित होती है और इसका परोक्ष रूप से उसकी मनोस्थिति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इस प्रकार के दुष्प्रभाव को साहित्य में शब्दों का रूप देकर उसे प्रासंगिक बनाना ही अच्छे लेखक की उपलब्धि होती है। दो प्राध्यापक शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों द्वारा शोध पत्र पढ़े गए जिसमें डा. नरसिंह एवं डा. विरेन्द्र ने सत्र चेयर किया। उल्लेखनीय है कि प्रतिभागियों ने उत्साह दिखाते हुए बड़ी संख्या में शोध पत्र प्रस्तुत किये। सत्र के बाद विदाई भाषण डा. कामायनी बिष्ट सह प्रोफेसर राजकीय महाविद्यालय संजोली शिमला द्वारा दिया गया। उन्होंने महामारी एवं युद्ध के मार्मिक प्रसंगों को उजागर करते हुए कहा की यह वह घटनायें हैं जिनसे मानवता का क्षय होता है। मानवता को झकझोरने वाली घटनायें जैसे प्रथम विश्व युद्ध, द्वितीय विश्व युद्घ एवं 9/11 की घटना को साहित्य में दर्शाया जा सकता है किन्तु इस ट्रामा को व्यक्त करना लगभग असंभव है। अंत में संगोष्ठी के सह संयोजक शुभम ने संगोष्ठी की सफलता के लिए सबका आभार व्यक्त किया। उल्लेखनीय है की इस संगोष्ठी के सफल आयोजन में वरिष्ठ प्राध्यापक प्रोफेसर सुभाष कुमार एवं प्रोफेसर संजीव व रीमा, डॉक्टर राजीव, डॉक्टर स्वर्णजीत व डॉक्टर सतीश व गौरी डोगरा ने विशेष सहयोग दिया।
Aluminum scrap uses Scrap aluminium legal compliance Circular economy metal practices