सत्यखबर, जींद, अशोक छाबड़ा
प्रदेश में निकाय चुनाव को लेकर विधानसभा में पारित किए गए संशोधन विधेयक में शहरी स्थानीय निकाय मंत्री अनिल विज ने अड़ंगा लगा दिया है। इस विधेयक के तहत जनता द्वारा की गई वोटिंग से ही मेयर,चेयरमैन व चेयरपर्सन चुने जाने हैं। इस कारण करीब एक साल पहले पांच नगर निगमों यमुनानगर, अंबाला, करनाल, पानीपत और रोहतक में चुनाव हो चुके हैं और पांच मेयर जनता की वोटिंग से चुन कर आ चुके हैं। लेकिन अभी तक नगर पालिका व परिषदों के चुनाव होने है और उनके इस तरह सीधे चुनाव की अधिसूचना जारी नहीं हुई है। इसके लिए मामले की फाइल विज के पास पहुंची थी। जिस पर उन्होंने लिख दिया है कि ‘दिस इज अगेंस्ट द बेसिक प्रिंसिपल ऑफ पार्लियामेंट्री सिस्टम ऑफ डेमोक्रेसी (यह लोकतंत्र की संसदीय प्रणाली के मूल सिद्धांत के विपरीत है)। अगर इस सिस्टम को शुरू भी करना है तो इसे टॉप से करो।’ इस टिप्पणी के बाद अफसर फाइल लेकर दौड़ रहे हैं। हरियाणा सरकार पहले इस मामले को लेकर अध्यादेश लाई थी। इसके बाद विधानसभा में संशोधन विधेयक पारित हुआ था। जिस समय यह विधेयक पास हुआ था, उस समय शहरी स्थानीय निकाय मंत्री कविता जैन थीं। अब जब भाजपा सरकार दूसरी बार सत्ता में आई तो शहरी स्थानीय निकाय मंत्री अनिल विज हैं। अब इस विधेयक के इंप्लीमेंटेशन को लेकर जो फाइल आई,उस पर विज ने अपनी टिप्पणी लगा कर भेज दी। विज का मानना है,पुरानी परंपरा बेहतर
वर्तमान में स्थिति यह है कि शहरी निकायों को पावरफुल बनाने की कवायद अब विज को राजनैतिक तौर से सही नहीं लग रही है। विज का मानना है कि सीधे चुनाव के बजाय पहले से चली आ रही परंपरा ज्यादा बेहतर थी। इसका कारण यह है कि यदि किसी शहर में जनता ने चुनाव में विपक्षी दल के व्यक्ति को चैयरमैन चुन लिया तो उसकी जनता तय समय यानी पांच वर्ष तक विकास कार्यों के लिए भटकती रहती है। अब यह देखना होगा कि सरकार विज की टिप्पणी पर गौर करती है कि नहीं, क्योंकि सीधे चुनाव की प्रक्रिया को बदलने के लिए सरकार को विधानसभा में फिर बिल लाना पड़ेगा। अब भविष्य में जब भी नगर पालिका व परिषदों की अधिसूचना जारी होगी,यह मुद्दा उठेगा।
पहले यह थी स्थिति
हरियाणा में पहले पार्षद ही नगर परिषद चेयरमैन और मेयर का चुनाव करते थे। पहली बार मेयरों का यह चुनाव डायरेक्ट वोटिंग से हुआ है। अब जब मेयर स्थानीय विधायकों को धता बता रहे हैं। ऐसे में कई विधायक सरकार के सामने भी यह रोना रो चुके हैं कि मेयर के साथ उनका तालमेल नहीं बैठ रहा है। अनिल विज के पास संबंधित जिलों के विधायक अपना दुखड़ा रोने आते रहते हैं।
वर्तमान में स्थिति
वर्तमान में हरियाणा में नगर परिषद और पालिका अध्यक्ष के सीधे चुनाव का इंतजार है। संभावित प्रत्याशी उसी ढंग से तैयारी कर रहे हैं। नगर पालिका व नगर परिषद में सीधे चुनाव का बिल पास होने के बाद अभी तक प्रदेश में कोई भी चुनाव नहीं हुआ है। आगामी चुनाव में सीधे तौर से ही चेयरमैन व चेयरपर्सन चुने जाएंगे।
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