सत्य खबर, जौनपुर
वैसे तो आमतौर पर फिल्मी गाने वास्तवीक नहीं बन पाते पर कभी-कभी यह सच भी साबिता हो जाते हैं। ऐसे ही ओ साथी रे..तेरे बिना भी क्या जीना। मुकद्दर का सिकंदर फि ल्म के इस गीत को वास्तविक जीवन में चरितार्थ कर दिया मछलीशहर कोतवाली के जीरकपुर गांव निवासी एक दंपती ने। पत्नी की जुदाई बर्दाश्त नहीं कर पाए राज बहादुर ने उसकी चिता पर ही गिरकर आखिरी सांस ले ली। घटना गांव जवार में चर्चा का विषय बन गई है। यूं ही नहीं कहा गया पति-पत्नी का जन्म.जन्मांतर का रिश्ता होता है।
गांव निवासी 65 वर्षीय राज बहादुर की पत्नी 62 वर्षीय विद्या देवी का गत मंगलवार को हार्टअटैक से निधन हो गया। जिंदगी के सफ र में पत्नी के अचानक यूं साथ छोड़ जाने से राज बहादुर बेसुध से हो गए। रोजी-रोटी के सिलसिले में मुंबई रहने वाले उनके पुत्र 35 वर्षीय राजीव बुधवार की दोपहर वहां से आए तो विद्या देवी का पार्थिव शरीर अंत्येष्टि के लिए शहर के रामघाट श्मशान ले जाया गया। आग देने के बाद राज बहादुर गुमसुम बैठे चिता निहार रहे थे।
आंखों के सामने पत्नी की काया राख में बदल जाने के बाद राज बहादुर परंपरा के अनुसार चिता ठंडी करने के लिए पानी डालने उठे तो अचानक वहीं गिर पड़े और उनकी सांसें थम गई। स्वजन तुरंत निजी अस्पताल ले गए। डाक्टर ने देखते ही राज बहादुर को मृत घोषित कर दिया। स्वजन पार्थिव शरीर लेकर घर चले आए। गुरुवार की दोपहर रामघाट ले जाकर उसी स्थान पर उनका भी अंतिम संस्कार कर दिया जहां विद्या देवी का किया गया था। वीं मां-बाप के एक साथ निधन से परिवार में कोहराम मचा हुआ है।
तथा गांव में पति पत्नी के कुछ ही घंटों के फासले पर हुई मौत को लेकर तरह तरह की चर्चा हो रही है। परिजनों के अनुसार पति पत्नी में काफी बेहतर तालमेल था। इसकी वजह से वह पत्नी के मौत के बाद काफी सदमे में चले गए थे और उन्होंने यह कदम उठा लिया।
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