सत्यखबर, नरवाना (सन्दीप श्योरान) :-
ज्येष्ठ अमावस्या के दिन सनातन वैदिक परंपराओं के अनुसार केएम राजकीय महाविद्यालय में पौधों के साथ-साथ बरगद के पेड़ लगाए गए। प्रो. जयपाल आर्य ने इनकी महत्ता बताते हुए कहा कि सूर्य की तपती धूप में वटवृक्ष एक आशियाने की तरह कार्य करता है। आदिकाल से आज तक आश्रम, पाठशाला, विश्वविद्यालय, धार्मिक एवं सांस्कृतिक जगहों पर बड़, पीपल व नीम आदि के वृक्ष लगाने का प्रावधान रहा है। जबकि वर्तमान में बड़, पीपल व नीम की संख्या दिन-प्रतिदिन कम होती जा रही है। परिणाम स्वरूप वातावरण में जहर घुल रहा है और भूताप भी बढ़ रहा है। वट-वृक्ष एक विराट एवं इसके पत्ते बड़े होने के कारण दिन के समय में बहुत ज्यादा मात्रा में वायु को शुद्ध करता है। प्राचीन काल में ऋषि- मुनि इन वृक्षों के नीचे ही तप और पुरुषार्थ किया करते थे। यह वृक्ष औषधीय गुणों से भी ओतप्रोत है। इसके नीचे की जमीन में सबसे ज्यादा पोषक तत्व होते हैं। इन सब बातों को ध्यान रखते हुए महाविद्यालय में इन बरगद के पौधों का प्रत्यारोपण किया गया। इस दौरान सोनू, कुलदीप, जितेंद्र, संदीप, मोहन आर्य आदि का सहयोग रहा।
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