सत्यखबर, नरवाना (सन्दीप श्योरान) :-
आज का युवा पश्चिमीकरण की चकाचौंध में दिग्भ्रमित होकर अपने सांस्कृतिक एवं सामाजिक कर्तव्य से विमुख होकर फैशन, व्यसन एवं नशे का शिकार हो गया है। आज नौजवान कोई भी कार्य करने से जी चुराते हैं और सामाजिक मान-मर्यादा के अंतर्गत अपने से बड़ों का मान व सम्मान करने को तुच्छ समझते हैं। यह कहना है केएम राजकीय कालेज में रसायन शास्त्र के सहायक प्रोफेसर जयपाल आर्य का। वे कहते हैं, परिणाम स्वरूप आज का स्वरूप बिगड़ गया है। घर का चिराग घर को ही जला रहा है। उसकी स्थिति आटे के दीये जैसी बन गई है कि उसको बाहर रखें तो कौवे खा जाते हैं और अंदर रखे तो चूहे खा जाते हैं। यह समाज अंदर-बाहर कहीं से भी सुरक्षित नहीं है। वैचारिक विवेचन का अभाव हो गया है। सत्य का निरीक्षण, परीक्षण तथा मूल्यांकन करना आज के नौजवानों के बूते की बात नहीं रही। सब जगह रट्टा, पट्टा व सट्टा चल रहा है। इसी आधार पर विद्यार्थियों ने भी पढ़ाई को छोड़ दिया है। मानाकि उनका साक्षर ज्ञान तो बढ़ा है, लेकिन समाज में शिक्षित वर्ग का अंश दिनों-दिन घट रहा है।
सामूहिक प्रयास से ही आएगी जागृति
प्रो. जयपाल आर्य अपील करते हुए कहते हैं कि यदि सब कुछ ऐसे ही चलता रहा, तो एक दिन हमारी यह सौम्य संस्कृति विनाश की ओर चली जायेगी, जिसके लिए हमें जागृति पैदा करने के लिए सामूहिक प्रयास करना होगा। इसलिए आओ हम सब मिलकर इस राष्ट्र के वर्तमान और भविष्य को सुधारने के लिए प्रयासरत हों और नौजवानों को शराब, हीरोइन, गांजा, भांग, धतूरा व भोग विलास से दूर ले जाने के लिए समाज में नई चेतना का संचार करें।
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