सत्य खबर, पानीपत (ब्यूरो रिपोर्ट)
पानीपत को विश्व भर में ओद्योगिक नगरी के नाम से जाना जाता है।क्योंकि पानीपत एक टेक्सटाइल हब है और इस बार पानीपत के रेशमी कालीन यूरोपियन गिरजाघरों की सजावट में भी चार चांद लगाने जा रहे हैं।। क्योंकि करीब डेढ़ महीने पहले ही ऑर्डर मिलना शुरु हुए थे और समुद्री मार्ग से कालीन की खेप उन देशों के लिए रवाना कर दी गई थी, जहां से ऑर्डर मिले थे। वहीं कुछ देशों से मिले अर्जेंट ऑर्डर वायु मार्ग से पहुंचाए गए हैं।
बता दें कि इन कालीने में सबसे अधिक मांग हस्तनिर्मित कारपेट की रही। इससे उत्साहित शहर के कालीन कारोबारियों को उम्मीद जागी है कि यूरोपियन देशों से मिले शानदार रिस्पांस की बदौलत एक बार फिर टेक्सटाइल कारोबार को रफ्तार मिलेगी।
क्रिसमस और नए साल पर ज्यादातर गिरजाघरों में कारपेट बदलने की परंपरा है। बतौर गिफ्ट भी कालीन का आदान-प्रदान किया जाता है। इसी का फायदा भारतीय कालीन कारोबारियों को मिल रहा है। पानीपत के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के भदोही और आगरा से भी साल-दर-साल यूरोपियन देशों में कालीन का निर्यात बढ़ा है।
पानीपत क्लस्टर 10,000 से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार देता है। यहां से तकरीबन 3000 करोड़ का निर्यात होता है। घरेलू बाजार में भी पानीपत की लगभग 1000 करोड़ की भागीदारी है। कालीन के अलावा, पानीपत दरी, मैट, टेपस्टरी, बेड कवर और अन्य हैंडलूम उत्पादों का भी निर्यात करता है। चीन व टर्की के मशीनी माल की मांग लगातार बढऩे के बावजूद अपने परंपरागत हस्तनिर्मित कौशल के चलते पानीपत के उत्पाद भी दुनिया भर में पसंद किए जाते हैं।
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