सत्यखबर, नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0’ और ‘अमृत 2.0’ की शुरुआत की. इस दौरान उन्होंने कहा, बाबा साहब असमानता दूर करने का बहुत बड़ा माध्यम शहरी विकास को मानते थे. बेहतर जीवन की आकांक्षा में गांवों से बहुत से लोग शहरों की तरफ आते हैं. उनका जीवन स्तर गांवों से भी मुश्किल स्थिति में रहता है. ये उन पर एक तरह से दोहरी मार की तरह होता है. एक तो घर से दूर, और ऊपर से ऐसी स्थिति में रहना. इस हालात को बदलने पर, इस असमानता को दूर करने पर बाबा साहेब का बड़ा जोर था. स्वच्छ भारत मिशन और मिशन अमृत का अगला चरण, बाबा साहेब के सपनों को पूरा करने की दिशा में भी एक अहम कदम है. स्वच्छ भारत मिशन-शहरी मिशन के दूसरे चरण और अटल नवीकरण एवं शहरी परिवर्तन मिशन (अमृत) को देश के सभी शहरों को ‘कचरा मुक्त’ और ‘जल सुरक्षित’ बनाने की आकांक्षा को साकार करने के लिए तैयार किया गया है. स्वच्छ भारत मिशन-शहरी (सीबीएम-यू) के दूसरे चरण का उद्देश्य सुविधाओं को बेहतर बनाना और नगर निकायों को ठोस कचरे के प्रसंस्करण को मौजूदा 70 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत तक ले जाना है. इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा केंद्रीय आवासन एवं शहरी कार्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी और राज्य मंत्री के साथ-साथ अन्य राज्यों के शहरी विकास मंत्री भी मौजूद रहे.
पीएम स्वनिधि योजना स्ट्रीट वेंडर्स के लिए नई किरण
पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा, ‘आज शहरी विकास से जुड़े इस कार्यक्रम में, मैं किसी भी शहर के सबसे अहम साथियों में से एक की चर्चा अवश्य करना चाहता हूं. ये साथी हैं हमारे रेहड़ी-पटरी वाले, ठेला चलाने वाले- स्ट्रीट वेंडर्स. इन लोगों के लिए पीएम स्वनिधि योजना, आशा की एक नई किरण बनकर आई है.’
स्क्रैपिंग पॉलिसी से अर्थव्यवस्था को मिलेगी मजबूती
उन्होंने कहा, देश में शहरों के विकास के लिए आधुनिक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल भी लगातार बढ़ रहा है. अभी अगस्त के महीने में ही देश ने नेशनल ऑटोमोबाइल स्क्रैपिंग पॉलिसी लॉन्च की है. ये नई स्क्रैपिंग पॉलिसी, ‘वेस्ट टू हेल्थ’ के अभियान को, सर्कुलर इकॉनॉमी को और मजबूती देती है.
हर दिन करीब एक लाख टन कचरा हो रहा प्रोसेस’
प्रधानमंत्री ने कहा, आज भारत हर दिन करीब एक लाख टन कचरा, प्रोसेस कर रहा है. 2014 में जब देश ने अभियान शुरू किया था तब देश में हर दिन पैदा होने वाले वेस्ट का 20 प्रतिशत से भी कम प्रोसेस होता था. आज हम करीब 70 प्रतिशत डेली वेस्ट प्रोसेस कर रहे हैं. अब हमें इसे 100 प्रतिशत तक लेकर जाना है.
स्वच्छता का काम कुछ लोगों का नहीं या कुछ दिनों का नहीं’
पीएम मोदी ने कहा, हमें ये याद रखना है कि स्वच्छता, एक दिन का, एक पखवाड़े का, एक साल का या कुछ लोगों का ही काम है, ऐसा नहीं है. स्वच्छता हर किसी का, हर दिन, हर पखवाड़े, हर साल, पीढ़ी दर पीढ़ी चलने वाला महाअभियान है. स्वच्छता जीवनशैली है, स्वच्छता जीवन मंत्र है.
स्वच्छता अभियान को मजबूती देने का बीड़ा आज की पीढ़ी ने उठाया
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा, मैं इस बात से बहुत खुश होता हूं कि स्वच्छता अभियान को मजबूती देने का बीड़ा हमारी आज की पीढ़ी ने उठाया हुआ है. टॉफी के रैपर अब जमीन पर नहीं फेंके जाते, बल्कि पॉकेट में रखे जाते हैं. छोटे-छोटे बच्चे, अब बड़ों को टोकते हैं कि गंदगी न करें.
‘पूरा होगा बाबा साहब का असमानता दूर करने का सपना’
पीएम मोदी ने कहा, स्वच्छ भारत अभियान और अमृत मिशन की अब तक की यात्रा वाकई हर देशवासी को गर्व से भर देने वाली है. इसमें मिशन भी है, मान भी है, मर्यादा भी है, एक देश की महत्वाकांक्षा भी है और मातृभूमि के लिए अप्रतिम प्रेम भी है.
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उन्होंने कहा, बाबा साहब असमानता दूर करने का बहुत बड़ा माध्यम शहरी विकास को मानते थे. बेहतर जीवन की आकांक्षा में गांवों से बहुत से लोग शहरों की तरफ आते हैं. हम जानते हैं कि उन्हें रोजगार तो मिल जाता है लेकिन उनका जीवन स्तर गांवों से भी मुश्किल स्थिति में रहता है. ये उन पर एक तरह से दोहरी मार की तरह होता है. एक तो घर से दूर, और ऊपर से ऐसी स्थिति में रहना. इस हालात को बदलने पर, इस असमानता को दूर करने पर बाबा साहेब का बड़ा जोर था. स्वच्छ भारत मिशन और मिशन अमृत का अगला चरण, बाबा साहेब के सपनों को पूरा करने की दिशा में भी एक अहम कदम है.’
पीएम मोदी ने कहा- ‘स्वच्छ भारत मिशन-अर्बन 2.0’ का लक्ष्य है गार्बेज-फ्री शहर
पीएम मोदी ने योजनाओं की शुरुआत के साथ कहा, 2014 में देशवासियों ने भारत को खुले में शौच से मुक्त करने का- ODF बनाने का संकल्प लिया था. 10 करोड़ से ज्यादा शौचालयों के निर्माण के साथ देशवासियों ने ये संकल्प पूरा किया. अब ‘स्वच्छ भारत मिशन-अर्बन 2.0’ का लक्ष्य है गार्बेज-फ्री शहर, कचरे के ढेर से पूरी तरह मुक्त शहर बनाना. मिशन अमृत के अगले चरण में देश का लक्ष्य है, ‘सीवेज और सेप्टिक मैनेजमेंट बढ़ाना, अपने शहरों को वाटर सिक्योर सिटी बनाना और ये सुनिश्चित करना कि हमारी नदियों में कहीं पर भी कोई गंदा नाला न गिरे.’
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