सत्यखबर सफीदों (महाबीर मित्तल) – पूर्व विदेश मंत्री दिवंगत सुषमा स्वराज का सफीदों से विशेष लगाव रहा है। उसी लगाव का ही कारण है कि सफीदों का आम जनमानस व भाजपा कार्यकत्र्ता उन्हे सजल नेत्रों से रह-रहकर याद कर रहे हैं। सुषमा स्वराज का इस क्षेत्र के लोगों व कार्यकर्ताओं के साथ एक दिल का रिश्ता था और उस रिश्ते को जब भी मौका मिलता वे बखूबी निभाने का प्रयास करती थी। पार्टी की विपरीत परिस्थितियों के बावजूद जब भी वे यहां आती कार्यकर्ताओं में एक नई ऊर्जा का संचार कर जाती थी। सफीदों विधानसभा चुनाव हो या सोनीपत लोकसभा का चुनाव उनमें प्रचार के लिए सुषमा स्वराज की विशेष डिमांड होती थी क्योंकि जनता उन्हे हरियाणा की बेटी के रूप देखा करती थी। जनता उनके भाषणों को दिल लगाकर सुना करती थी।
उसके उल्ट जब सुषमा स्वराज कहीं से चुनाव लड़ती तो यहां के लोग और पार्टी कार्यकत्र्ता उनके चुनाव प्रचार के लिए बहुत ज्यादा संख्या में वहां पहुंचते थे। बात उस समय की है जब वर्तमान में हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के सदस्य एडवोकेट विजयपाल सिंह यहां विधानसभा का चुनाव लड़ रहे थे उस वक्त सुषमा स्वराज सफीदों की पुरानी अनाज मंडी में आयोजित रैली में लोगों को अपनेपन का एहसास कराते हुए ठेठ हरियाणवी में बोलते हुए कहा कि विजयपाल सिंह एडवोकेट उनके भाई के समान है। उन्होंने कहा था कि विजयपाल सिंह के उनके ऊपर बहुत अहसान है। जब वे करनाल से चुनाव लड़ रही थी, उस वक्त मडलौडा (पानीपत) का चुनावी दफ्तर विजयपाल सिंह संभाला करते थे। इसके अलावा सुषमा स्वराज ने वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में अपनी बहन वंदना शर्मा को सफीदों विधानसभा सीट से टिकट दिलवाई थी और उस चुनाव प्रचार के दौरान भी सुषमा स्वराज कई बार सफीदों में आई।
वरिष्ठ भाजपा नेता एवं वर्तमान में हरियाणा गौ सेवा आयोग के सदस्य श्रवण कुमार गर्ग बताते हैं कि जैसे ही उनके निधन का समाचार मिला वे ही नहीं बल्कि सभी कार्यकर्ता भाव विभोर हो गए। उन्होंने एक संस्मरण बताते हुए कहा कि जनता पार्टी बनी थी। उस वक्त सुषमा स्वराज सफीदों मंडी की अग्रवाल धर्मशाला के सामने आई थी और उन्होंने एक जलसे को संबोधित किया था और जलसे में उनके भाषण से ओतप्रोत होकर बहुत से लोग पार्टी के साथ जुड़े थे।
विजयपाल सिंह एडवोकेट की चुनावी रैली संबोधित करने के उपरांत वे उनके निवास पर आई थी और उस वक्त उनके सौरभ ने उन्हे पूर्व प्र्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का हस्त निर्मित चित्र प्रदान किया था, जिसे उन्होंने काफी सराहा था। उन्होंने बताया कि जब भी वे उन्हे दिल्ली या अन्य स्थानों पर मिले वे पूरी आत्मियता से मिलती थी और कार्यकत्र्ताओं को कभी निराश नहीं करती थी। सभी के कार्य प्राथमिकता के आधार पर करती थी। उनका कहना है कि उन्हे और लोगों अभी भी यह विश्वास नहीं हो रहा कि सुषमा स्वराज अब हमारे बीच नहीं हैं।
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