सत्यखबर, उचाना
उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के उचाना हलके के गांव बधाना में गांव के लोगों को 35 साल बाद उस समय राहत की सांस आई जब गले के बीचों-बीच बीच लगे 23 खंभों को हटवाकर एक तरफ लगवा दिया गया।
बड़ी परेशानी का सबब बन चुके इन खंभों को हटवाने के लिए ग्रामीण वर्षों तक पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह से गुहार लगाते रहे। इसके बाद सांसद बनने पर दुष्यंत चौटाला से भी इस समस्या को दूर होने की उम्मीद लोग करते रहे। दुष्यंत चौटाला के उप मुख्यमंत्री बनने के बाद भी लोगों को यह पूरा विश्वास था कि इन रास्ते के बीचों-बीच खड़े खंभों से छुटकारा मिल जाएगा लेकिन दुष्यंत चौटाला इस खतरनाक समस्या को दूर करना तो दूर उसकी तरफ ध्यान भी नहीं दे पाए।
ऐसे में उचाना विकास सँघर्ष समिति ने इस झंझट के खात्मे का बीड़ा उठाया। समिति के अध्यक्ष अनुराग खटकड़ ने बिजली मंत्री रणजीत सिंह के संज्ञान में इस मामले को डालने का काम किया। रणजीत सिंह ने अपने अपने पिता स्वर्गीय देवीलाल के नक्शे कदम पर चलते हुए लोगों की पीड़ा को सर्वोपरि मानकर 48 घंटे में ही खंभों को हटवाने का काम करवा दिया।
रणजीत सिंह ने यह बता दिया कि जनता की समस्याओं को किस तरह से एक झटके में दूर किया जाता है। उचाना हलके के लोगों ने दुष्यंत चौटाला को भरपूर जन समर्थन देते हुए इस उम्मीद के साथ 50000 वोटों से विजयी बनाया था कि बीरेंद्र सिंह की नाकामी और अनदेखी के दौर का खात्मा करते हुए वे उचाना हलके को बदहाली और पिछड़ेपन की दलदल से बाहर निकालने का काम करेंगे लेकिन उपमुख्यमंत्री बनने के 6 महीने के अंदर ही उचाना हलके के लोगों के दिलों से दुष्यंत चौटाला का जादू नाराजगी और गुस्से में बदल गया है।
उप मुख्यमंत्री होने के बावजूद दुष्यंत चौटाला उचाना हलके के लोगों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाए जिसके चलते उनकी लोकप्रियता का ग्राफ उचाना में अर्श से फर्श पर आ गया है। जिस तरह से लोग बीरेंद्र सिंह परिवार की बुराई किया करते थे उसे अधिक बुराई 6 महीने में ही दुष्यंत चौटाला की हर गांव में होने लगी है।आम लोगों के अलावा बीजेपी से जुड़े हुए लोग भी दुष्यंत चौटाला की कमियों और नाकामियों को सरेआम कहने से गुरेज नहीं कर रहे हैं।
बधाना गांव की समस्या को दुष्यंत चौटाला की टीम ने पूरी तरह से अनदेखा करने का काम किया जबकि रणजीत सिंह ने उचाना संघर्ष समिति के मुखिया अनुराग खटकड़ के एक ही आग्रह पर 48 घंटे में खंभों को गली के बीच से हटाने का काम पूरा कर यह बता दिया कि देवीलाल की तरह खुद को दिखाने से काम नहीं चलता है बल्कि देवीलाल की तरह काम करने पर ही जनता का “पेटा” भरता है।
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