सत्य खबर जींद, महाबीर मित्तल: उपायुक्त नरेश नरवाल ने बताया कि कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अधिकारियों द्वारा गांवों- गांवों जाकर फसल अवशेष को जलाने से होने वाले नुकसान तथा इन फसल अवशेषों को उचित प्रबंधन करने से होने वाले लाभ के बारे में विस्तार से जानकारी दी जा रही है। फसल अवशेष प्रबंधन स्कीम के तहत कृषि उपकरणों पर अनुदान के साथ- साथ किसानों को भी लाभ दिया जाता है जो किसान अपने खेत में स्ट्रा बेलर मशीन से पराली की गांठ बनवाते है उन किसानों को कृषि एवं कल्याण विभाग द्वारा प्रति एकड़ एक हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि दी जाती है।
यह भी पढ़ें:- पंचकूला की गौशाला में अपनाई गई भारत की पहली भ्रूण प्रत्यारोपण विधि
सहायक कृषि अभियंता विजय कुमार ने बताया कि उपायुक्त नरेश नरवाल द्वारा आगजनी घटनाओं को रोकने के लिए गांवों स्तर पर एक कमेटी बनाई गई है। उन्होंने बताया कि जिला के गांवों को रेड, यलो तथा ग्रीन जोन में बांटा गया है। उन्होंने बताया कि रेड तथा यलो जोन के गांवों पर पूर्णतया फोकस रखने के लिए सेटेलाइट का भी प्रयोग किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि जिला में पिछले वर्ष तक 515 कस्टम हायरिंग सेंटर स्थापित किए गए है। इन कस्टम हायरिंग सेंटर की स्थापना के लिए हरियाणा सरकार द्वारा 8० प्रतिशत अनुदान राशि दी गई है। इस वर्ष भी कस्टम हायरिंग सेंटर स्थापना तथा एकल कृषि यंत्रों के लिए आवेदन पोर्टल पर मांगे गए है। कृषि यंत्रों के लिए रेड तथा यलो जोन के गांवों के किसान 25 सितंबर तक आवेदन कर सकते है।
यह भी पढ़ें:- योजनाओं एवं सेवाओंं का लाभ प्रत्येक पात्र व्यक्ति तक उपलब्ध करवाना सुनिश्चित करें अधिकारी: उपायुक्त नरेश नरवाल
सहायक कृषि अभियंता ने बताया कि इन कृषि यंत्रों के रेट पिछले वर्ष निर्धारित किए गए थे जो इस वर्ष में भी लागू है। यदि कोई निर्माता या उसका डीलर हरियाणा सरकार द्वारा निर्धारित दरों से ज्यादा कीमत में कृषि यंत्र बेचता है तो उस पर तुंरत कारवाई की जाएगी। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा इस स्कीम के अन्तर्गत इनफार्मेशन, एजुकेशन तथा कमुनिकेशन के तहत गांवों में किसानों के ट्रैनिंग कैम्प लगाए जा रहे है। किसानों को बताया जा रहा है कि यदि हम पराली को यथास्थान अपने खेत की मिट्टी में मिला दे तो आगे बोई जाने वाली गेहंू की फसल की शुरूआत की बढ़ोतरी में 35 प्रतिशत नाईट्रोजन, 85 प्रतिशत पोटास, 3० प्रतिशत फास्फोरस की पूर्ति इन फसल अवशेषों के प्रबंधन से कर सकते है। उन्होंने बताया कि एक टन पराली में 2.5 किलो फास्फोरस, 2.3 किलो सल्फर, 5.5 किलो नाइट्रोजन, 4०० किलो कार्बन होता है। यदि इसका सही प्रबंधन कर लिया जाए तो रासायनिक खादों पर निर्भरता कम सकते है। इसके अतिरिक्त आग न लगाकर पर्यावरण को बचाने में मदद कर सकते है। आग लगाने से खेतों में विभिन्न प्रकार के मित्र कीट, पेड़- पौधे तथा जानवारों को नुकसान पहुंचता है। इन सभी को संतुलन बनाए रखने में ही मानव जाति का भला है।
Aluminium recycling innovations Aluminium recycling risk management Scrap metal supply chain management
Scrap metal repur Ferrous metal recovery facilities Iron repurposing yard
Ferrous scrap recycling center, Iron scrap inspection, Metal reclaiming and reutilization services