किसान न जलाएं फसल अवशेष, फसल अवशेष जलाने से भूमि की उर्वरा शक्ति पर पड़ता है प्रतिकुल असर: उपायुक्त नरेश नरवाल
सत्य खबर जींद, महाबीर मित्तल: फसल अवशेष प्रबंधन स्कीम 2०21-22 के तहत लाल व पिला जोन में आने वाले गांवों के किसान 25 सितंबर तक कृषि यंत्र प्राप्त करने के लिए कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के पोर्टल पर आवेदन कर सकते है। उपायुक्त नरेश नरवाल ने रविवार को उक्त जानकारी देते हुए बताया कि लाल व पिला जोन में आने वाले गांवों के वह किसान जो किसी कारणवश से कृषि यंत्रों के लिए आवेदन नहीं कर पाए थे अब ऐसे किसान अनुदान हेतू agriharyanacrm.com पोर्टल पर ऑनलाईन आवेदन कर सकते है। उन्होंने बताया कि जिला के अनुसूचित जाति के किसान भी व्यक्तिगत व कस्टम हायरिंग सैंटर श्रेणी में आवेदन कर सकते है। व्यक्तिगत श्रेणी में कृषि यंत्रों को किसानों को 5० प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। इसी प्रकार से किसानों की सहकारी समिति, पंजीकृत किसान समिति, एफपीओ तथा पंचायत द्वारा कस्टम हायरिंग सैंटर स्थापित करने पर 8० प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। चयन उपरान्त किसान सूचीबद्ध कृषि यंत्र निर्माताओं से मोल- भाव अपनी पंसद के यंत्र निर्माता से खरीद सकते है। कृषि यंत्रों की सूची विभागीय पोर्टल पर डाल दी गई है।
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उपायुक्त ने बताया कि फसल अवशेष जलाने से फसल उत्पादन में काफी अन्तर आता है और साथ ही भूमि की उर्वरा शक्ति भी कमजोर हो जाती है। उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा कि एक टन पराली जलाने से भूमि में साढ़े पांच किलोग्राम नाईट्रोजन, 12 किलोग्राम सल्फर, अढ़ाई किलोग्राम पोटास तथा 4०० किलोग्राम आर्गेनिक पोषक तत्वों की हानि हो जाती है। उन्होंने पराली जलाने से होने वाली दुसरे दुष्प्रभाव पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इससे भूमि शत्रु कीटों की संख्या बढ़ जाती है और वायु प्रदुषण भी बड़े पैमाने पर होता है ऐसे में मानव को अनेक प्रकार की बीमारियां होने का अंदेशा बना रहता है। किसानों को पराली न जलाकर अपने आप को पर्यावरण मित्र बनने का परिचय देना चाहिए। सहायक कृषि अभियंता विजय कुन्डू ने बताया कि जींद जिला के रेड जोन के 2० गांवों तथा यलो जोन के 76 गांवों के इच्छूक किसान ऑनलाईन आवेदन कर सकते है। साथ ही जिले के सभी गांवों की अनुसूचित जाति के किसान भी व्यक्तिगत एवं कस्टम हायरिंग श्रेणी में आवेदन कर सकते है। इस स्कीम के तहत अनुदान देने के लिए सारी प्रक्रिया का संचालन जिला स्तरीय कमेटी द्वारा किया जाएगा। जींद के उपायुक्त नरेश नरवाल इस कमेटी के चेयरमैन होंगे। उन्होंने बताया कि जो किसान स्ट्रा बेलर से बेल बनाकर पराली प्रबंधन करना चाहते है उनकों सरकार द्वारा एक हजार रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से अनुदान उपलब्ध करवाया जाएगा। उन्होंने धान की फसल उगाने वाले किसानों से अपील की है कि वे पराली का प्रयोग पशु चारे के रूप में करें। इसकी बिक्री के लिए बहुत से ठेकेदार भी हैं। धान की पराली बेचकर किसान आय का अतिरिक्त साधन भी अपना सकते है। उन्होंने बताया कि बासमती धान की पराली किसान दो से तीन हजार रूपए प्रति एकड़ के हिसाब से खरीदकर और इसका कुड़ा बनाकर राजस्थान समेत अन्य राज्यों में चारा बनाकर भेज सकते है जिससे किसान अच्छा- खासा मुनाफा कमा सकते है।
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