सत्य खबर
अमेरिका और चीन के बीच एक बार फिर तेजी से तनाव बढ़ गया है। चीन का आरोप है कि अमेरिका के दो एडवांस्ड यू-2 स्पाय प्लेन्स (जासूसी विमान) ने पिछले दिनों उसकी सीमा में घुसकर मिलिट्री ड्रिल को रिकॉर्ड किया। घटना उत्तरी चीन में हुई। हालांकि, सटीक लोकेशन की जानकारी नहीं दी गई। अमेरिका ने चीन के आरोप का खंडन तो नहीं किया किया, लेकिन कहा- हमने किसी नियम को नहीं तोड़ा।
दोनों देशों का यह तनाव इसलिए काफी गंभीर है क्योंकि पिछले ही महीने अमेरिका के दो फाइटर जेट्स शंघाई से महज 75 किलोमीटर की दूरी पर काफी देर तक उड़ान भरते नजर आए थे।
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चीन ने कहा- ये नो फ्लाय जोन
चीन की डिफेंस मिनिस्ट्री के प्रवक्ता वु क्विन ने कहा- अमेरिकी नेवी के दो यू-2 एयरक्राफ्ट्स ने उत्तरी इलाके में हमारी सेना के अभ्यास की कई घंटे तक जासूसी की। इससे हमारी ट्रेनिंग पर असर हुआ। अमेरिका ने दोनों देशों के बीच समझौते का उल्लंघन है।
इससे सैन्य झड़प का खतरा
चीन के सरकारी मीडिया ने कहा- अमेरिका की यह हरकत बेहद खतरनाक है। अगर वो चीन के इलाके में घुसेगा तो इससे सैन्य झड़प हो सकती थी। बाद में यह बढ़ भी सकती थी। चीनी सेना वहां एक नहीं बल्कि दो जगह एक्सरसाइज कर रही थी।
अमेरिका ने क्या कहा
अमेरिका ने चीन के आरोपों का खंडन नहीं किया। सीएनएन से बातचीत में यूएस एयरफोर्स ने कहा- हमने अपनी हद में रहकर ही काम किया है। किसी नियम को नहीं तोड़ा। हम पहले भी हिंद महासागर में ऑपरेशन्स करते आए हैं। आगे भी करते रहेंगे। मिलिट्री एक्सपर्ट कार्ल चेस्टर ने कहा- मुझे चीन के दावे पर शक है। अमेरिका एयरक्राफ्ट को चीन में घुसने की जरूरत ही नहीं है। वो इतने हाईटेक हैं कि मीलों दूर से ही हर चीज की जानकारी हासिल कर सकते हैं।
चीन क्यों डरा
यू-2 स्पाय एयरक्राफ्ट पहली बार 1950 में नजर आए। यानी ये करीब 70 साल पुराने हैं। ये कई बार अपग्रेड किए गए। अमेरिका के पास इनसे कई गुना बेहतर स्पायर एयरक्राफ्ट भी हैं। यू-2 70 हजार फीट उपर से जमीन पर हो रही छोटी से छोटी हरकत पर नजर रखा सकता है। फोटोग्राफ ले सकता है और एचडी वीडियो बना सकता है। खास बात ये भी है कि इसे एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइल इसे छू भी नहीं सकते।
लकीर पीटती रह गई चीनी सेना
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि यू-2 एयरक्राफ्ट कई घंटे तक चीन के आसमान में 70 हजार फीट की ऊंचाई पर मंडराते रहे। उन्होंने पूरी मिलिट्री एक्सरसाइट कैप्चर की। इसके बाद आराम से हिंद महासागर में अपने बेस पर लौट गए। चीन की सेना को इसकी भनक तक नहीं लगी। बाद में इमेजरी के जरिए इसका पता चला क्योंकि तब इनकी ऊंचाई काफी कम हो गई थी।
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