सत्यखबर, नई दिल्ली
फिलहाल चौतरफा हमले झेल रही मोदी सरकार की गिरती साख को बचाने के लिए अब आरएसएस ने कमर कस ली है। संघ के 10 बड़े पदाधिकारी शनिवार को दिल्ली में आयोजित एक बैठक में शामिल होंगे। जिसमें बीजेपी के सीनियर नेताओं के शामिल होने के भी कयास लगाए जा रहे हैं। संघ प्रमुख डॉ.मोहन भागवत, दत्तात्रेय होसबले, कृष्ण गोपाल, सुरेश सोनी और भाजपा के केंद्रीय संगठन मंत्री बी एल संतोष सहित कई बड़े नेता दिल्ली पहुंच भी चुके हैं। वे कल की बैठक को लेकर आरएसएस कार्यालय में मंथन कर रहे हैं। जिसकी बागडोर खुद भागवत ने संभाली हुई है।
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बैठक में बंगाल चुनाव में हुई हार, बंगाल में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार और बंगाल में चल रहा विचार युद्ध क्या रुख लेगा। उत्तर प्रदेश में चल रहे राजनीतिक गतिरोध को कम करना, पंचायत चुनावों में भाजपा को हार क्यों मिली। कोरोना महामारी के दौरान मोदी सरकार की साख क्यों गिरी, कोरोना से निपटने में क्या नाकामयाब हुई सरकार। केंद्र के मंत्रिमंडल में बदलाव से पार्टी को क्या फायदा होगा। केंद्र सरकार के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन का हल, कई राज्यों के गांवों में नहीं घुस पा रहे हैं बीजेपी के नेता आदि मुद्दों पर विचार होगा।
बताया जा रहा है कि गुरुवार को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नडडा सहित कई केंद्रीय मंत्री भी आरएसएस कार्यालय पहुंचे थे और मौजूदा हालात के बारे में संघ के बड़े पदाधिकारियों को अवगत कराया था। इसके साथ ही हरियाणा और यूपी सरकार के मुख्यमंत्रियों के कामकाज पर भी चर्चा हुई। सूत्रों की मानें तो कई मंत्रियों की कार्यप्रणाली को भी जांचा जा रहा है और आने वाले समय में कुछ नये चेहरे मोदी कैबिनेट में दिखाई दे सकते हैं।
जब देश कोरोना महामारी की दूसरी लहर से जूझ रहा था तब मोदी और उनकी पूरी कैबिनेट बंगाल फ तह की तैयारी में जुटी थी। लेकिन दूसरी लहर इतनी भयानक होगी इस बात का अंदाजा किसी ने नहीं लगाया था। बात कोरोना वैक्सीन की करें तो मोदी सरकार ने अपनी वाहवाही के लिए वैक्सीन को विदेशों में भेज कर अपनी किरकिरी करा ली। ऐसा कई न्यूज चैनलों द्वारा किये गये सर्वे रिपोर्ट में साबित हुआ है। इन सर्वे में ये बात सामने आई है कि मोदी और अमित शाह की साख को धक्का पहुंचा है। इस हालात को सुधारने के लिए संघ-भाजपा एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं। ये भी माना जा रहा है कि मोदी कैबिनेट का विस्तार जल्द हो सकता है।
वहीं दिल्ली बॉर्डर पर पिछले 6 महीने से ज्यादा समय से चल रहा किसानों का आन्दोलन भी बीजेपी और आरएसएस के लिए गले की हड्डी बना हुआ है। केंद्र सरकार को लगा था कि आंदोलन लंबा चलेगा तो बिखर जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अब तो किसानों का नारा यही है कि जब कानून वापसी होगी तभी घर वापसी होगी। दिल्ली के साथ लगते हरियाणा में मुख्यमंत्री और मंत्रियों के सार्वजनिक कार्यक्रमों पर भी किसानों ने प्रतिबंध लगा दिया है।
किसानों और पुलिस के बीच कई बार हिंसक घटनाएं भी सामने आई हैं। जिसको लेकर केंद्र सरकार भी चिंतित है। दो दिन पहले हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने भी इस बारे में मोदी से मुलाकात कर मौजूदा हालात के बारे में बताया था।
दिल्ली में संघ के आला पदाधिकारियों की बैठक में इस बार कुछ भी मामूली नहीं रहने वाला है। क्योंकि लंबे समय के बाद सत्ता में आई बीजेपी की साख बचाने में संघ के बड़े पदाधिकारी जुटे हैं। इस बैठक में जिन मुद्दों को लेकर चर्चा होनी है वे भी मामूली नहीं हैं। क्योंकि राज्यों या केन्द्र में कोई बड़ा बदलाव होता है तो उससे भी गुटबाजी बढऩे की आशंका रहती है।
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