मंगल कलश यात्रा के साथ हुआ श्रीराम कृपा प्रेरणा उत्सव का शुभारंभ
सत्यखबर सफीदों, (महाबीर) – वेदाचार्य दंडी स्वामी डा. निगमबोध तीर्थ महाराज के परम सानिध्य एवं बंधु सेवा संघ के तत्वाधान में रविवार को नगर की पुरानी अनाज मंडी में मंगल कलश यात्रा के साथ श्री राम कृपा प्रेरणा उत्सव का शुभारंभ हो गया। शुभारंभ अवसर पर नगर के ऐतिहासिक महाभारतकालीन नागक्षेत्र सरोवर मंदिर परिसर से पूजा-अर्चना के उपरांत विशाल मंगलमय कलश यात्रा निकाली गई। यात्रा में महिलाएं पीले वस्त्र धारण करके सिर पर मंगल कलश उठाकर चल रही थी।
इसके अलावा यात्रा में बज रहे भक्तिरस से सरोबार संगीत ने वातारवरण को भक्तिमय बना दिया। यात्रा में श्री सदगुरुदेव दंडीस्वामी डॉ. निगमबोध तीर्थ महाराज ने अपनी मंगलमयी उपस्थिति दी। यात्रा में कथावाचक पूज्यपाद श्री काद्मगिरी पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामस्वरूपाचार्य महाराज रथ में विराजमान होकर चल रहे थे। यह कलश यात्रा नगर के मुख्य बाजारों से होकर कथास्थल पुरानी अनाज मण्डी पहुंची। कथास्थल पर नगर के गण्यमान्य लोगों ने कथावाचक स्वामी रामस्वरूपाचार्य महाराज का स्वागत करके वैदिक मंत्रोचारण के बीच उन्हे व्यासपीठ पर विराजमान किया।
व्यास पीठ से श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए स्वामी रामस्वरूपाचार्य महाराज ने कहा कि रोम-रोम में जो चेतना व्याप्त है, रोम-रोम में जो रम रहा है उसका ही नाम राम है। रोम-रोम में रमने वाले चैतन्यतत्त्व का नाम है चैतन्य राम है। भगवान श्रीराम नित्य कैवल्य ज्ञान में विचरण करते थे। वे आदर्श पुत्र, आदर्श शिष्य, आदर्श मित्र एवं आदर्श शत्रु भी थे क्योंकि शत्रु भी उनकी प्रशंसा किए बिना न रह सके थे। श्रीराम का दिव्य चरित्र धन्य है, जिसका विश्वास शत्रु भी करता है और प्रशंसा करते थकता नहीं था। प्रभु श्रीराम का पावन चरित्र दिव्य होते हुए भी इतना सहज सरल है कि मनुष्य चाहे तो अपने जीवन में भी उसका अनुसरण कर सकता है। उन्होंने कहा कि जब-जब धरती पर त्राहि-त्राहि मची, अत्याचारियों के अत्याचार बढ़े, तब-तब भगवान ने अवतार लिया और धरती से पाप व अत्याचार को मिटाकर धरती का उद्धार किया।
इस दो अक्षर से बने राम नाम की महिमा भी अपरंपार है। राम नाम का स्मरण करके हम जीवन के कष्टों का निवारण कर सकते हैं। भगवान राम हमारे जीवन के प्रत्येक रंग में समाए हुए हैं। जीवन के हर खुशी या गम के मौके पर राम नाम सहसा ही हमारे मुख से निकल पड़ता है। उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि वे उन्हीं पूर्णाभिराम श्रीराम के दिव्य गुणों को अपने जीवन में अपनाकर उसे सफल बनाएं।