सत्य खबर,नई दिल्ली,(ब्यूरो रिपोर्ट)
क्रिसमस और न्यू ईयर के दौरान नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों का थमा दौर आज फिर दोबारा मंडी हाउस से जंतर मंतर तक विरोध प्रदर्शन के साथ शुरु हो गया। हालांकि जामिया इलाके में धरना और विरोध प्रदर्शन चल रहे थे। अब महिलाओं के नेतृत्व में मंडी हाउस पर दोबारा कई संगठन इकट्ठा हुए और 11 बजे से शाम 5 बजे तक जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन की बात कही। सावित्री बाई फुले की जयंती के मौके पर यह प्रदर्शन करने की बात कही जा रही है।
वहीं पुलिस का कहना था कि मार्च निकालने के लिए परमिशन नहीं ली गई है, हालांकि अगर सब-कुछ शांतिपूर्ण तरीके से हुआ तो उनको जंतर मंतर तक जाने दिया जाएगा। करीब 300 से 400 महिलाओं के प्रदर्शन में शामिल होने की उम्मीद जताई जा रही थी। ‘आज हम उठे नहीं तो जुल्म बढ़ता जाएगा’ के नारे के साथ शुरू हुए इस प्रदर्शन में महिलाओं के साथ कई ट्रांसजेडर्स और क्वीर कम्यूनिटी के लोगों के शामिल होने की भी सूचनाएं थीं। ट्रैफिक पुलिस के अधिकारियों ने बताया कि मंडी हाउस से बाराखंभा रोड और फिर टॉलस्टाय मार्ग होते हुए जंतर मंतर तक इनके पहुंचने की तैयारी है। ट्रैफिक पुलिस ने उन सड़कों के आसपास व्यवस्था कर दी है और संभव है कि कुछ समय के लिए रास्ता बंद करना पड़े। कनॉट प्लेस पहुंचने के लिए बाराखंभा रोड, कस्तूरबा गांधी मार्ग, जनपथ और संसद मार्ग का रास्ता मुफीद नहीं होगा, क्योंकि वहां कभी भी रास्ता बंद हो सकता है। पुलिस सूत्रों ने बताया कि नई दिल्ली जिले में जंतर मंतर को छोड़कर अन्य जगहों पर धारा 144 लगी हुई है और किसी भी तरह की हिंसा को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
मार्च की अगुवाई करने वालों में शामिल महिला शबनम हाशमी ने बताया कि नागरिकता संशोधन कानून और NRC से सबसे ज्यादा प्रताड़ित महिलाएं होंगी, क्योंकि महिलाओं का घर और नाम शादी के बाद बदल जाता है, ऐसे में उनके पास पुराना डॉक्यूमेंट कैसे होगा? वहीं ट्रांसजेडर्स को बचपन में उनका परिवार छोड़ देता है और घर से निकलते समय कोई उनको डॉक्यूमेंट तो देता नहीं। ऐसे में महिलाओं ने इस जुल्म के खिलाफ आवाज उठानी होगी, नहीं हो यह जुल्म बढ़ता जाएगा। मशहूर स्ट्रीट थिएटर आर्टिस्ट सफदर हाशमी की बहन शबनम ने बताया कि वह 5 बजे तक जंतर मंतर पर रहेंगी, कानून व्यवस्था से जुड़े किसी भी नियम को तोड़ा नहीं जाएगा। शांतिपूर्ण तरीके से सब-कुछ होगा। उन्होंने बताया कि इस मार्च का नेतृत्व महिलाएं करेंगी, लेकिन मार्च में सब आ सकते हैं। इस मार्च में अलग अलग संगठनों के साथ जामिया, जेएनयू के छात्रों के भी शामिल होने की आशंका जाहिर की जा रही है।
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