सत्यखबर,मुजफ्फरनगर
रविवार को मुजफ्फरनगर में हुई किसान महापंचायत की सफलता से उत्साहित किसान अब योगी आदित्यनाथ सरकार को घेरने की रणनीति पर काम करेंगे। योजना के मुताबिक पंजाब और हरियाणा की तर्ज पर किसान नेता अब उत्तर प्रदेश में भी भाजपा नेताओं को उनके गृह क्षेत्रों में जाने का विरोध करेंगे। भाजपा नेताओं का कोई कार्यक्रम होने पर भारी संख्या में किसान कार्यक्रम स्थलों तक जाने वाले मार्ग पर पहुंचेंगे। वे उनसे किसान आंदोलन को समर्थन देने, तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए केंद्र सरकार से लिखित मांग करने की बात कहेंगे। इस मांग से सहमत न होने वाले भाजपा नेताओं को उनके क्षेत्रों में प्रवेश करने से रोक दिया जाएगा।बड़े नेताओं के कार्यक्रम में किसान काले झंडे लेकर पहुंचेगे और उनका विरोध करेंगे। 27 सितंबर के ‘भारत बंद’ कार्यक्रम के दिन से इस योजना को अमल में लाया जा सकता है। हालांकि, इस कार्यक्रम की अंतिम रूपरेखा 9-10 सितंबर को लखनऊ में संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं की बैठक में बनाई जाएगी।
मुख्यमंत्री खट्टर के एक कार्यक्रम के विरोध के दौरान किसानों पर लाठीचार्ज करने से किसानों को काफी चोटें आई थीं। इससे हरियाणा सरकार के लिए असहज स्थिति पैदा हो गई थी। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के समय में ऐसी कोई परिस्थिति राज्य सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा नेता संजीव बालियान का भी उनके गृह क्षेत्र में प्रवेश करने का भारी विरोध हुआ था। भाजपा ने इस विरोध के पीछे विपक्ष को जिम्मेदार ठहराया था। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, किसान नेता यूपी में भी कॉरपोरेट कंपनियों के खिलाफ बड़े विरोध की तैयारी कर रहे हैं। योजना के अनुसार यूपी में काम कर रही ब़ड़ी कॉरपोरेट कंपनियों के ऑफिस, पेट्रोल पंपों और कारखानों पर पहुंचकर किसान कृषि के निजीकरण का विरोध करेंगे। कॉरपोरेट कंपनियों से सीधे खेती के क्षेत्र में प्रवेश करने से दूरी रखने का अनुरोध किया जाएगा और कृषि कानूनों की प्रतियां जलाई जाएंगी।
हरियाणा-पंजाब की तरह यूपी के टोल प्लाजा को मुक्त कराने की रणनीति पर भी काम किया जा रहा है। 27 सितंबर के बाद किसान उत्तर प्रदेश के टोल प्लाजा पर इकट्ठा होकर उन्हें मुक्त कराने का काम करेंगे। इस दौरान टोल प्लाजा पर आवागमन मुक्त करा दिया जाएगा। इससे व्यवस्था सुचारू रखने के मामले में सरकार के सामने बेहद असहज स्थिति पैदा हो सकती है।किसान आंदोलन उत्तर प्रदेश में अभी तक पश्चिमी हिस्से में सबसे ज्यादा प्रभावी रहा है। लेकिन अब इसे पूर्वांचल के जिलों में मजबूत करने की तैयारी है। गांव-गांव, ब्लॉक और जिले स्तर पर संगठन बनाकर और जनसभाओं के कार्यक्रम कर इसे आम लोगों तक पहुंचाने की कोशिश की जाएगी। इसके लिए पूरे देश के किसान नेता उत्तर प्रदेश में प्रवास करेंगे और लोगों को संबोधित करेंगे।
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