सत्य खबर, दिल्ली
रूस ने अपनी अर्थव्यवस्था और पुतिन ने अपनी प्रतिष्ठा को दांव लगाकर यूक्रेन पर हमला किया है और पूरी दुनिया रूस के खिलाफ खड़ी हो गई है, बावजूद इसके चार दिन बीतने के बाद भी रूसी सैनिक यूक्रेन पर कब्जा करने में नाकाम रहे हैं, जिसके बाद राष्ट्रपति पुतिन अपने ही सैनिकों पर भड़क गये हैं। चार दिन बाद भी रूसी सैनिक यूक्रेन के राष्ट्रपति को बंदी बनाने में नाकाम रहे हैं और इस बीच रूस को अरबों डॉलर का नुकसान हो चुका है।
ब्रिटेन की खुफिया एजेंसी का दावा ब्रिटेन की MI6 सीक्रेट इंटेलिजेंस सर्विस के प्रमुख ने कहा है कि उनका मानना है कि यूक्रेन युद्ध व्लादिमीर पुतिन कभी नहीं जीत पाएंगे और रूसी राष्ट्रपति को यूक्रेन युद्ध में कभी भी राजनीतिक जीत हासिल नहीं हो पाएगी। ब्रिटिश खुफिया एजेंसी MI6 के प्रमुख रिचर्ड मूर ने एक लेख में दावा किया है कि, अरबों डॉलर खर्च करने के बाद भी पुतिन की सेना यूक्रेन में फेल हो जाएगी, क्योंकि रूस ने अपने पड़ोसी देश यूक्रेन की ताकत को काफी कम करने के आंकने की भूल की है। 58 साल के रिचर्ड मूर ने लंदन के किंग्स कॉलेज के प्रोफेसर लॉरेंस फ्रीडमेन के एक लेख पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। ‘ए रेकलेस गैंबल’ शीर्षक वाले लेख में, प्रोफेसर फ्रीडमैन ने कहा कि, पुतिन ‘यूक्रेन के प्रति जुनूनी हो गए हैं और अपमानजनक सिद्धांतों से ग्रस्त हैं, जो युद्ध के बहाने खोज रहे थे, लेकिन अब उनका जुनून उनके ही ऊपर भारी पड़ रहा है”।
यूक्रेन को जीत नहीं पाएंगे पुतिन प्रोफेसर फ्रीडमैन ने लिखा है कि, रूस के लिए यूक्रेन को जीतना शायद उसता मुश्किल नहीं हो, लेकिन असल सवाल ये है कि, क्या रूस यूक्रेन के लोगों पर जीत हासिल कर पाएगी? प्रोफेसर फ्रीडमैन ने कहा कि, यूक्रेन के लोगों को जीतना, ये कुछ ऐसा है जिसके लिए रूस के पास ताकत नहीं है। उन्होंने लिखा, ‘यहां तक कि अगर यूक्रेन की सरकार राजधानी पर नियंत्रण खो देती है और भागने के लिए मजबूर हो जाती है, और यूक्रेनी सेना का कमांड सिस्टम टूटने लगते हैं, फिर भी इसका मतलब यह नहीं है कि रूस ने युद्ध जीत लिया है। वहीं, ब्रिटिश खुफिया एजेंसी के प्रमुख ने अपने ट्वीटर अकाउंट पर इस लेख पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, ‘आकर्षक! मेरी समझ में आ रहा है’।
अति-आत्मविश्वास में शुरू की लड़ाई ब्रिटिश खुफिया एजेंसी के प्रमुख मूर ने इस लेख का समर्थन उस वक्त किया है, जब कई खुफिया एजेंसियों नेये भी दावा किया है कि, रूसी राष्ट्रपति ने जिस प्लान के साथ यूक्रेन पर हमला किया है, वो क्रेमलिन (रूसी राष्ट्रपति भवन) के अतिआत्मविश्वास, खराब सामरिक योजना और बहादुर यूक्रेनियन सैनिक, जो अपने देश के अस्तित्व को बचाने के लिए लड़ रहे हैं, उन वजहों से फेल हो जाएगी। वहीं, द डेली मेल ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि, युद्ध के चार दिनों के बाद भी रूसी सेना ने अब तक यूक्रेन पर कब्जा नहीं किया है, जिसकी वजह से व्लादिमीर पुतिन काफी गुस्से में हैं और उन्होंने अपने सैन्य अधिकारियों पर गहरी नाराजगी जताई है।
गुस्से में आगबबूला हैं पुतिन? डेली मेल की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि, पुतिन का मानना था कि, रूस की सेना पिछले एक साल से युद्ध की तैयारी कर रही है और रूस के बाहुबल के सामने यूक्रेन कहीं नहीं ठहरता है, फिर भी कीव पर कब्जा करने में रूसी सैनिक अभी तक नाकाम क्यों रही है? रिपोर्ट में कहा गया है कि, यूक्रेन, जो रूस के सामने किसी ‘बच्चे’ की तरह है, उसने जिस तरह से जवाबी कार्रवाई की है, उससे रूसी पक्ष सदमे में है और रूस की प्रतिष्ठा को गहरा धक्का लगा है और रूसी सेना को यूक्रेन के पलटवार से भारी नुकसान भी हुआ है, जिसे रूसी राष्ट्रपति के लिए पचाना कतई आसान साबित नहीं हो रहा है।
20 अरब डॉलर हर दिन खर्च वहीं, यूरोपियन यूनियन की सांसद रिहो टेरास ने दावा किया है कि, रूस के पास यूक्रेन में लड़ने का सामरिक योजना नहीं है और हर दिन युद्ध की लागत 20 अरब डॉलर की है। उन्होंने कहा कि, किसी भी देश को लड़ाई लड़ने के लिए रॉकेट की संख्या सिर्फ 3 से 4 दिनों के ही होती है और रूसी हथियार कारखानों के पास तेजी के साथ हथियार बनाने की क्षमता भी नहीं है, लिहाजा अब धीरे धीरे रूस के पास हथियारों की कमी शुरू हो सकती है। जबकि, यूक्रेन रक्षा मंत्रालय ने दावा किया है कि, अभी तक उसने करीब रूस के करीब 2,800 सैनिकों, 80 टैंकों, 516 बख्तरबंद वाहनों और 10 हवाई जहाजों और सात हेलीकॉप्टरों को मार गिराया है। वहीं, अमेरिकी रक्षा अधिकारियों ने दावा किया है कि, रूस ने अब यूक्रेन में अपनी रफ्तार खो दी है, क्योंकि रूस को पता नहीं था, कि उसे अप्रत्याशित प्रतिरोध का सामना करना पड़ सकता है।
यूक्रेन का उत्साहजनक प्रदर्शन प्रोफेसर फ्रीडमैन के लेख ने इस सिद्धांत का समर्थन किया है। उन्होंने लिखा है कि, ‘रूसी सेनाओं की श्रेष्ठता के बावजूद उन्होंने युद्ध के पहले दिन की अपेक्षा कम प्रगति की, जब उनके पास सामरिक क्षमता और उनकी संभावनाएं काफी ज्यादा थीं। उन्होंने कहा कि, “यूक्रेनियों ने एक उत्साही प्रतिरोध का प्रदर्शन किया और आक्रमणकारियों को भारी नुकसान पहुंचाया है।” दरअसल, रूसी सैनिकों को भटकाने के लिए यूक्रेन की सेना ने लोगों से अपने क्षेत्रों में सड़कों, शहरों और गांवों के नाम सड़क के संकेतों को बदलना और हटाना शुरू कर दिया, जिससे रूसी सैनिक भुलभूलैया में फंसते चले गये। यूक्रेन के रक्षा मंत्रालय ने एक ट्वीट में कहा था कि, ‘हम जितनी जल्दी हो सके यूक्रेन को रूसी कब्जे से मुक्त करने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे!’।
कठपुतली सरकार बनाने की प्लानिंग वहीं, यूरोपियन यूनियन की सांसद रिहो टेरास दावा किया कि पुतिन की योजना यूक्रेन को बुरी तरह से डराने, आवासीय भवनों पर मिसाइल हमले कर उन्हें बर्बाद करने और यूक्रेन की सेना का आत्मसमर्पण करवाकर उन्हें ‘अपमानित’ करने की है, लेकिन अब यह यूक्रेन की राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की की मजबूती पर निर्भर करता है, कि यूक्रेन आखिर कब तक प्रतिरोध करता है। उन्होंने कहा कि, रूसी राष्ट्रपति की कोशिश यूक्रेन में कठपुतली सरकार के निर्माण की है। उन्होंने ट्विटर पर कहा कि, ‘रूसियों ने जिस भयंकर प्रतिरोध का सामना किया है, उससे वे सदमे में हैं, लिहाजा यूक्रेनियन को दहशत से बचना चाहिए! … यूक्रेन को मजबूत रहना चाहिए और हमें उनकी सहायता प्रदान करनी चाहिए!’
दुनियाभर से यूक्रेन को मदद एक वक्त अकेला नजर आ रहे यूक्रेन को अब पूरी दुनिया से समर्थन मिलना शुरू हो गया है और रूस की निंदा पूरी दुनिया में शुरू हो गई है। वहीं, अंतर्राष्ट्रीय सहयोगियों ने रूस पर भारी दबाव बढ़ा दिया है और आने वाले दिनों में यूक्रेन की मदद के लिए अतिरिक्त सहायता का वादा किया गया है। जर्मनी ने शनिवार शाम को घोषणा की है, कि वह 1,000 टैंक रोधी हथियार और 500 “स्टिंगर” सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल यूक्रेन को “जितनी जल्दी हो सके” भेजेगा। वे हथियार 400 जर्मन-निर्मित एंटी-टैंक हथियारों के अलावा हैं, जिन्हें जर्मनी ने नीदरलैंड से भी भेजने की मंजूरी दी थी, साथ ही एस्टोनिया से 9 डी -30 हॉवित्जर और गोला-बारूद भी यूक्रेन को भेजा जा रहा है।
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