सत्यखबर, रेवाड़ी
हरको बैंक के चेयरमैन डॉ अरविंद यादव के अभिनंदन समारोह में भाजपा की फूट फिर चौराहे पर आ गई। डॉ अरविंद यादव को पार्टी द्वारा एक के बाद एक बड़ी जिम्मेदारी दी जा रही है। हरको बैंक का चेयरमैन बनाने के बाद उन्हें संगठन द्वारा रोहतक जिले का प्रभारी बनाया गया। उसके बाद अब उन्हें प्रदेश स्तरीय पंचायती राज प्रबंधन समिति सदस्य बनाया गया है।
कार्यकर्ताओं द्वारा अपने नेता को मिली बड़ी उपलब्धि के लिए उनका अभिनंदन समारोह भाजपा जिला कार्यालय में रखा गया। भाजपा कार्यालय का सभागार कार्यकर्ताओं से तो पूरी तरह से खचाखच भरा हुआ था, लेकिन जिला अध्यक्ष से लेकर राव गुट ने पहले की तरह दूरियां ही बनाई रखी। माना जा रहा है कि लगातार डॉ अरविंद यादव को भाजपा द्वारा दी गई जिम्मेदारी से राव इंद्रजीत सिंह गुट काफी असहज महसूस कर रहा है।
राजनीतिक पंडित मान रहे हैं कि भाजपा कतई नहीं चाहती कि दक्षिण हरियाणा की राजनीति में किसी एक नेता का एकछत्र राज हो। केंद्रीय मंत्री राव इंदरजीत सिंह इससे पहले कई मामलों में अपनी मोनोपोली चला चुके हैं, लेकिन अब लगता है कि भाजपा उनके आगे सरेंडर नहीं करना चाहती। यही कारण है कि प्रधानमंत्री द्वारा कैबिनेट विस्तार में दक्षिणी हरियाणा के ही एक नेता को कैबिनेट का दर्जा दिया गया। उन्हें कैबिनेट में दर्जा देकर दक्षिण हरियाणा में संतुलन साधने का कार्य किया। दक्षिणी हरियाणा के नेता को कैबिनेट में दर्जा देने व डॉ अरविंद यादव के लगातार कद को बढ़ाने में साफ संदेश है कि भाजपा में व्यक्ति नहीं पार्टी बड़ी होती है।
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जिले में इससे पहले भी भाजपा तथा इंद्रजीत गुट भाजपा बनी हुई है। राव इंदरजीत सिंह गुट के कार्यकर्ता पहले तो महेंद्र यादव को कैबिनेट में दर्जा मिलने तथा अब डॉ अरविंद यादव के बढ़ते कद को लेकर काफी असहज महसूस कर रहे हैं।
अपने अभिनंदन समारोह में डॉ अरविंद यादव ने इशारों इशारों में कई बातें कहीं। उन्होंने कहा कि मनभेद मतभेद हो जाते हैं, लेकिन वे कभी भी इनको बढ़ाने का नहीं घटाने का कार्य करते हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि छोटे मन वाले राजनीति में आगे नहीं बढ़ सकते। वही इशारों मैं कहा कि गलतफहमी वाले बड़े नहीं बन सकते। जिसको गलतफहमी है, उन्हें दूर कर लेनी चाहिए। अरविंद यादव पार्टी के लिए जान दे सकता है गद्दारी नहीं कर सकता। उन्होंने यह भी कहा कि कौन हमारा विरोध करता है, कौन हमारे बारे में क्या कहता है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। यह संगठन तय करता है कि कौन पार्टी के लिए समर्पित है। उन्होंने साफ कहा कि पार्टी से जुड़ना होगा, व्यक्ति विशेष से नहीं।
यह पहला मौका नहीं है कि जब राव इंद्रजीत सिंह को विपक्ष के अलावा अपनी ही पार्टी के नेताओं से दो चार होना पड़ा हो। इससे पहले कांग्रेस में रहते उन्हें अपनी ही पार्टी में लगातार 6 बार जीतने वाले दक्षिण हरियाणा कद्दावर नेता कैप्टन अजय यादव से भी जूझना पड़ा था। कांग्रेस में रहते उन्होंने आलाकमान को काफी आंखे दिखाई थी और अपनी खूब मनमर्जी की थी। इसके बाद डूबती नैया को छोड़ वे भाजपा में शामिल हो लिए। दोनों बार मोदी लहर में वे सांसद बने तथा पिछली योजना के साथ-साथ इस बार भी वे केंद्र में राज्य मंत्री हैं, लेकिन लगता नहीं कि कांग्रेस की तरह भाजपा भी उनके नखरे सहेगी।
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