सत्यखबर, हिमाचल प्रदेश
हिमाचल प्रदेश में बीजेपी को उपचुनाव 2021 में करारी हार मिली है. यही कारण है कि बीजेपी के प्रदेश और राष्ट्रीय नेतृत्व पर अब कई सवाल उठ रहे हैं. चौकाने वाली बात ये है कि हिमाचल बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का गृह राज्य है. उसके बावजूद इस तरह की हार ने राष्ट्रीय नेतृत्व को सवालों को घेरे में लाकर खड़ा कर दिया है. मंडी लोकसभा के साथ 3 विधानसभा सीटों पर हुए इस उपचुनाव को दिसंबर-2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा था. इसके नतीजों ने तो बीजेपी का सफाया कर दिया है.
मंडी संसदीय सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी और पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह जीती हैं. वहीं अर्की सीट पर कांग्रेस के संजय अवस्थी, जुब्बल-कोटखाई सीट पर कांग्रेस के रोहित ठाकुर और फतेहपुर सीट पर कांग्रेस के भवानी सिंह पठानिया ने जीत दर्ज की है.
सीएम जयराम ठाकुर ने मंगलवार को आोयोजित प्रेस कांफ्रेस में कहा कि कांग्रेस ने महंगाई के मुद्दे को हथियार के रूप में इस्तेमाल किया है. मंहगाई इस उपचुनाव में एक बड़ा मुद्दा था. जयराम ठाकुर ने कहा कि महंगाई एक वैश्विक मुद्दा है, सिर्फ ये यही ही नहीं है. उन्होंने माना कि इन सभी चीजों ने हमें काफी नुकसान पहुंचाया है.
ये हैं बीजेपी की हार के बड़े कारण
– सहानुभूति बना कांग्रेस के लिए रामबाण
8 जुलाई 2021 को राज्य पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह के निधन से अर्की विधानसभा सीट खाली हो गई थी. वीरभद्र सिंह के निधन के बाद हिमाचल में यह पहले उपचुनाव थे. ऐसे में कांग्रेस ने मंडी लोकसभा और अर्की सीट पर सहानुभूति कार्ड खेला और उसे इसका फायदा मिला. कांग्रेस ने मंडी लोकसभा सीट पर वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह को ही मैदान में उतारा. अर्की सीट पर कांग्रेस के संजय अवस्थी को सहानुभूति वोट मिले.
– हिमाचल में बीजेपी को अपनी ही गुटबाजी से सबसे बड़ा खतरा
हिमाचल में बीजेपी की सबसे बड़ी चिंता पार्टी की गुटबाजी है. यहां पूर्व सीएम प्रेमकुमार धूमल के गुट और नड्डा कैंप के बीच चल रही खींचतान से हर कोई वाकिफ है. इसी खींचतान की वजह से उपचुनाव में जुब्बल-कोटखाई से चेतन बरागटा को पार्टी टिकट नहीं मिला क्योंकि चेतन धूमल और उनके बेटे केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के करीबी हैं. बीजेपी ने बरागटा की जगह जिस महिला नेत्री नीलम सरैइक को टिकट दिया, उन्हें महज 2644 वोट मिले और उनकी जमानत तक जब्त हो गई है.
– महंगाई का मुद्दा बीजेपी पर पड़ा भारी
हिमाचल प्रदेश में 2017 से बीजेपी की सरकार है और वहां के लोग लगातार बढ़ती महंगाई से परेशान हैं. चुनाव प्रचार के दौरान लोगों ने इस मुद्दे पर बेबाकी से अपनी राय भी रखी है. मंगलवार को चार सीटों के नतीजे आने के बाद खुद सीएम जयराम ठाकुर ने माना कि महंगाई ही बीजेपी की हार की वजह रही है.
-बीजेपी को नहीं मिला युवाओं का साथ
बीजेपी हिमाचल में 4 साल से सत्ता में है और वहां के लोगों में पार्टी के प्रति नाराजगी साफ झलकती है. इस पहाड़ी प्रदेश के लोगों का मानना है कि 4 बरसों में न तो लोगों को रोजगार मिला और न ही विकास के काम हुए हैं. ऐसे में उन्होंने अपना गुस्सा उपचुनाव में कांग्रेस को वोट देकर निकाला है. वहीं बीजेपी का वोट बैंक समझा जाने वाला यूथ भी इस उपचुनाव में वोट डालने नहीं आया.
-आपसी लड़ाई भी बड़ा फैक्टर
हिमाचल में बीजेपी कई गुटों में बंटी है. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगतप्रकाश नड्डा और पूर्व सीएम प्रेमकुमार धूमल के बीच पुरानी लड़ाई है. किसी समय हिमाचल के सबसे ताकतवर नेता रहे धूमल ने ही सीएम रहते हुए नड्डा को हिमाचल की राजनीति से बाहर करने के मकसद से राज्यसभा भेजा था, लेकिन समय ने ऐसी पलटी खाई कि नड्डा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए.
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नड्डा-धूमल की इस लड़ाई की वजह से पार्टी ने जुब्बल-कोटखाई से चेतन बरागटा का टिकट काटते हुए नीलम सरैइक को उम्मीदवार बना दिया जिन्हें उपचुनाव में महज 2644 वोट मिले हैं. बीजेपी से बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले बरागटा ने उपचुनाव में 23662 वोट हासिल किए और महज 6293 वोट से हार गए. अगर बीजेपी आपसी खींचतान को छोड़कर जुब्बल कोटखाई से चेतन बरागटा को टिकट देती तो शायद यहां का नतीजा कुछ और रहता.
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