राेहतक, सत्य खबर,अशोक छाबड़ा
महम के एसडीएम ऑफिस से प्रदेश के सबसे बड़े वाहन चोर गिरोह के लिए चोरी की लग्जरी गाड़ियों को वैध बनाने का रैकेट चल रहा था। यहां चोरी की गाड़ियों के लिए नई आरसी तैयार की जाती थी। इसके बाद गिरोह के लोग चोरी की गाड़ियों पर इस आरसी के हिसाब से नंबर लगाते, चेसिज व मॉडल नंबर बदलते और उन गाड़ियों को लाखों रुपए में मार्केट में बेच मुनाफा कमाने का कालांधंधा चला रहे थे। एसटीएफ गुरुग्राम यूनिट ने इस रैकेट का खुलासा किया। आरोपी करीब तीन साल से इस रैकेट को चला रहे थे। एसटीएफ का मानना है कि अब तक ये गिरोह एसडीएम ऑफिस महम से 562 के करीब फर्जी ढंग से आरसी बनवा चुका है। मामले की ओर से महम पुलिस को महम के एसडीएम अभिषेक मीणा की ओर से शिकायत दर्ज कराई गई है। इसमें 11 लोगों पर एफआईआर दर्ज की गई है। इनमें महम एसडीएम ऑफिस के एमआरसी अनिल,कम्प्यूटर ऑपरेटर सैमाण निवासी कृष्ण व कांट्रेक्ट बेस पर कार्यरत डेटा एंट्री ऑपरेटर खरकड़ा का सोमबीर शामिल है।
जो अन्य 8 लोग हैं उनमें सैमाण का रमेश बामल, महम के वार्ड 5 का अमित, सीसर खास का रमेश, दादरी के घसोला का सोमबीर, दादरी का धर्मबीर, बालसंद का सूबे सिंह, सीसर खास का जसवंत उर्फ काला व दादरी का प्रवीन शामिल है। एसटीएफ के गुरुग्राम यूनिट इंचार्ज इंस्पेक्टर सतीश देशवाल ने बताया कि एमआरसी अनिल, सोमबीर और कृष्ण को गिरफ्तार कर लिया है। तीनों को कोर्ट में पेश कर 4 दिन के रिमांड पर लिया है। वहीं महम एसडीएम ऑफिस में फर्जीवाड़े की फैक्ट्री की तरह चल रहे इस रैकेट के उजागर होने के बाद जिले की राजनीति भी गरमा गई है। सत्ता व विपक्ष से जुड़े नेता एक दूसरे पर इसमें सीधे शामिल होने तक के आरोप लगा रहे हैं।
दादरी में पकड़ी चोरी की स्कॉर्पियो
वहीं से खुलते गए गिरोह के कारनामे
जून के शुरू के दिनों में चरखी दादरी में पुलिस ने एक स्कॉर्पियो गाड़ी को जांच के दौरान पकड़ा था। पुलिस के पास इस गाड़ी के चोरी का होने के इनपुट थे। लेकिन जब चालक प्रवीन ने गाड़ी की आरसी और अन्य कागजात दिखाए तो उसके वैध होने की पुष्टि हुई। लेकिन मुखबीर ने पुलिस को यकीन दिलाया कि ये गाड़ी चोरी की है। इसके बाद पुलिस ने प्रवीन से सख्ती से पूछताछ की तो उसने महम एसडीएम ऑफिस में चोरी की गाड़ियों के लिए आरसी बनाने के रैकेट से लेकर वाहन चोरी करने तक के बारे में कई खुलासे कर दिए। 3 जून को दादरी में केस दर्ज हुआ। इसके बाद मामले की जांच एसटीएफ गुरुग्राम की यूनिट को मिली।
बरामद हुईं चोरी की 18 गाड़ियां
एसटीएफ ने जांच मिलने के बाद आरोपी प्रवीन से पूछताछ कर चोरी की फॉच्यूनर,स्कॉर्पियो,इनोवा जैसी 17 गाड़ियां प्रदेश में विभिन्न स्थानों से बरामद कीं। प्रवीन और उसके गिरोह ने ये गाड़ियां विभिन्न लोगों को लाखों रुपए में बेच रखी थी। सभी की आरसी महम एसडीएम ऑफिस से जारी हुई थी। इस बारे में एसटीएफ ने 6 जून को चंडीगढ़ के सेक्टर 31 थाना में केस दर्ज कराया।
जांच में ये भी सामने आया कि महम एसडीएम ऑफिस से जारी हुई सारी आरसी में वाहनों के वो नंबर अलॉट किए गए हैं जो पहले से ही जेसीबी, स्कूटर, कार, मोपेड, ट्रैक्टर व ट्रक को जारी किए गए थे। एसडीएम ऑफिस से रिकार्ड जांच आरोपी उन्हीं वाहनों के नंबर नई आरसी में अलॉट करते जिनके वो मॉडल अब ऑटो कंपनियों ने बनाने बंद कर दिए थे। अधिकतर नंबर 1990 से पहले मॉडल वाहनों के हैं। खास ध्यान ये रखा जाता कि इन वाहनों का पंजीकरण दूसरे जिलों में हो।
महम से जारी हुई आरसी में सोनीपत अथॉरिटी के 56 ऐसे नंबर मिले हैं। महम में ये नंबर चोरी की लग्जरी गाड़ियों को अलॉट हुए हैं जबकि सोनीपत में ये नंबर स्कूटर, जेसीबी, बाइक व मोपेड के नाम से दर्ज हैं। आरोपियों ने 20 से 25 लाख रुपए कीमत की चोरी की लग्जरी गाड़ियाें को 10 से 15 लाख रुपए में लोगों को बेचा है।
वाहन पोर्टल पर साफ्टवेयर की
मदद से बदले गाड़ियों के वीआईएन नंबर
जांच में सामने आया कि कम्प्यूटर ऑपरेटर सोमबीर खरकड़ा ने महम एसडीएम ऑफिस के यूजर नेम व पासवर्ड का इस्तेमाल करते हुए वाहन पोर्टल खोला। इसके बाद एक साफ्टवेयर की मदद से उन भी आरसी की गाड़ियों के वीआईएन नंबर बदल दिए। इससे पुलिस जांच के दौरान गाड़ी के बारे में ऑनलाइन पड़ताल करने पर उनके चोरी के हाेने के बारे में जानकारी नहीं मिल पाती थी। आरोपी गाड़ी बेचते समय ग्राहक को सख्त हिदायत देते थे कि वो गाड़ी का कोई काम उसकी कंपनी के ऑथोराइज्ड सर्विस सेंटर की बजाए लोकल मिस्त्री से ही कराए।
जिन गाड़ियों की फर्जी आरसी बनाई उनमें
से अधिकतर की फाइल ऑफिस से हुईं गायब
एसटीएफ ने मामले की जांच करते हुए सबसे पहले एसडीएम अभिषेक मीणा को इस बारे में अवगत कराया। उन्होंने प्रारंभिक स्तर पर अपने ऑफिस के कर्मियों की जांच कराई। एमआरसी अनिल, सोमबीर और कृष्ण की भूमिका सामने आई। फिर इनके कार्यकाल में बनी सभी आरसी की फाइलों की पड़ताल कराई। जांच में सामने आया कि इन लोगों ने जितनी भी आरसी बनाई हैं उनके मैन्युअल रिकार्ड को इन्होंने खत्म कर दिया है। आरसी से संबंधित अधिकतर फाइलें जिनमें दस्तावेज लगे थे वो ऑफिस से गायब थी। इसके बाद एसडीएम ने केस दर्ज करा दिया।
टाइपिस्ट ने जोड़े थे महम
एसडीएम ऑफिस से गिरोह के तार
चोरी की लग्जरी गाड़ियों के लिए आरसी बनवाने के खेल में महम एसडीएम ऑफिस से आरसी बनाने के खेल के सारे तार ऑफिस के बाहर बैठे टाइपिस्ट रमेश बामल ने जोड़े थे। पुलिस रिमांड पर चल रहे एसडीएम ऑफिस के एमआरसी अनिल ने एसटीएफ के रिमांड पर कबूल किया है कि उसने 2017 में महम ऑफिस में ज्वाइन किया था। कुछ दिन बाद ही उससे टाइपिस्ट रमेश बामल मिला।
उसने उसे चोरी की गाड़ियों के लिए आरसी बनाने के खेल के बारे में राजी किया। रमेश ने ही अनिल को सीसर खास के रमेश और महम के अमित से मिलवाया। ये लोग उसे प्रत्येक गाड़ी की आरसी तैयार करने के लिए 25 हजार रुपए देते थे। अनिल ने आरसी बनाने के इस खेल में शुरू से ही रमेश बामल के परिवार के ही डेटा एंट्री ऑपरेटर कृष्ण व खरकड़ा के सोमबीर भी इस खेल में शामिल कर लिया।
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