सत्य खबर, नई दिल्ली
भारत और अमेरिका के बीच सिर्फ द्विपक्षीय मुद्दों पर ही बात नहीं होगी, बल्कि दोनों देश अब वैश्विक मुद्दों पर बात करेंगें और रणनीति तैयार करेंगे। पीएम नरेन्द्र मोदी के जापान दौरे से पहले भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि, क्वाड शिखर सम्मेलन से अलग भी भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की द्विपक्षीय बैठक होगी, जिसमें कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर बातचीत की जाएगी। 24 मई को क्वाड की बैठक
भारतीय विदेश मंत्रालय ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जापान दौरे को लेकर कहा कि, पीएम मोदी 24 मई को जापान की राजधानी टोक्यो में क्वाड देशों के नेताओं के साथ शिखर सम्मेलन में शिरकत करेंगे। जिसमें पीएम मोदी के अलावा अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन, जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री शिरकत करेंगे। भारत ने शनिवार को कहा कि, क्वाड सहयोग साझा मूल्यों और लोकतंत्र, अंतर्राष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों के प्रति प्रतिबद्धता और नियम-आधारित आदेश पर आधारित है। क्वाड की इस बैठक के दौरान यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के मद्देनजर भारत की स्थिति को रेखांकित करेगी और माना जा रहा है कि, क्वाड की बैठक में यूक्रेन का मुद्दा हावी हो सकता है। वहीं, ऑस्ट्रेलिया में भी चुनावी परिणाम आ गये हैं और लेबर पार्टी के नेमा एंथनी अल्बनीज नये प्रधानमंत्री बनने वाले हैं, लिहाजा ऑस्ट्रेलिया की नई सरकार का रूख रूस और क्वाड गठबंधन को लेकर क्या रहने वाला है, ये भी देखने वाली बात होगी, क्योंकि एंथनी अल्बनीज एक हार्डकोर वामपंथी नेता हैं। अमेरिका के साथ बातचीत का एजेंडा
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नई दिल्ली में पत्रकारों से पीएम मोदी के जापान दौरे पर बात करते हुए भारतीय विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने कहा कि, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की बातचीत सिर्फ द्विपक्षीय एजेंडे तक ही सीमित नहीं होगी, बल्कि इसमें क्षेत्रीय और वैश्विक महत्व के मुद्दे भी शामिल होंगे।यह पूछे जाने पर कि क्या श्रीलंका में आर्थिक संकट क्वाड शिखर सम्मेलन में चर्चा का हिस्सा होगा, क्वात्रा ने विशेष विवरण में जाए बिना कहा, कि क्वाड नेता हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अवसरों और चुनौतियों दोनों पर चर्चा करेंगे। उन्होंने क्वाड शिखर सम्मेलन में सहयोग और चर्चा के कई क्षेत्रों की पहचान की, जिनमें जलवायु परिवर्तन, टिकाऊ इन्फ्रास्ट्रक्चर, महत्वपूर्ण और उभरती हुई टेक्नोलॉजी, जैव प्रौद्योगिकी, सेमी कंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला का विविधीकरण, महत्वपूर्ण साइबर बुनियादी ढांचे की सुरक्षा, कोविड रिस्पांस, अर्थव्यवस्था और स्वास्थ्य मुद्दों पर बातचीत होगी। स्पेशल सेशन का होगा आयोजन
भारतीय विदेश सचिव क्वात्रा ने कहा है कि, क्वाड ने इस महीने के अंत में विश्व स्वास्थ्य सभा के मौके पर एक विशेष सत्र का भी आयोजन करने का फैसला लिया है, जिसमें वैक्सीन आत्मविश्वास को बढ़ावा देने और इंफोडेमिक से लड़ने पर विचार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि, ‘टोक्यो में आगामी शिखर सम्मेलन में क्वाड देश के नेता अब तक हुई क्वाड की बैठकों में क्या सब डेवलपमेंट्स हुए हैं, इसका भी जायजा लेंगे और भविष्य के लिए मार्गदर्शन देने का अवसर भी ये शिखर सम्मेलन प्रदान करेगा। इसके साथ ही हिंद-प्रशांत क्षेत्र में विकास और आपसी हित के वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा होगी। मोदी-बाइडेन बैठक पर उन्होंने कहा कि, ‘प्रधानमंत्री की अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन के साथ बैठक इस उच्च स्तरीय वार्ता की निरंतरता को चिह्नित करेगी और संबंधों को आगे ले जाने के लिए मार्गदर्शन और दृष्टि प्रदान करेगी।” यूक्रेन पर क्या होगा भारत का रूख?
टोक्यो में होने वाली क्वाड देशों की बैठक को लेकर भारतीय विदेश सचिव ने कहा कि, क्वाड की बैठक सभी देशों के साक्षा मूल्यों और लोकतंत्र पर आधारित है, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय कानून और नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था के सिद्धांतों के प्रति प्रतिबद्धता पर आधारित है … जिसमें एक स्वतंत्र, खुले और समावेशी इंडो-पैसिफिक के लिए एक दृष्टिकोण भी है।” उन्होंने कहा, “एक सकारात्मक और रचनात्मक एजेंडा को लागू करने के लिए क्वाड काम कर रहा है, जिसमें हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति, समृद्धि और स्थिरता को सक्षम करने पर जोर दिया गया है।” इसके साथ ही भारतीय विदेश सचिव ने यूक्रेन संकट को लेकर कहा कि, भारत की स्थिति “काफी स्पष्ट” है और दुनिया भर के प्रमुख भागीदारों ने भारत की “समझ की प्रशंसा” की है। उन्होंने कहा, भारत की स्थिति शत्रुता को तत्काल समाप्त करने और कूटनीति और बातचीत के माध्यम से संकट को हल करने की रही है। क्या भारत हटाएगा गेहूं पर प्रतिबंध?
यह पूछे जाने पर कि क्या भारत के गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध पर चर्चा होगी, क्वात्रा ने कहा कि खाद्य सुरक्षा “सर्वोपरि” है, लेकिन जहां भी संभव होगा, भारत कमजोर अर्थव्यवस्थाओं की जरूरतों को पूरा करेगा। उन्होंने कहा कि, “भारत में खाद्य सुरक्षा की जरूरतें हमारे लिए सर्वोपरि हैं। फिर भी, हम यह सुनिश्चित करने में भी बहुत सावधान और कैलिब्रेटेड हैं कि कमजोर अर्थव्यवस्था की जरूरतें, उनकी खाद्य सुरक्षा के जोखिम के प्रति संवेदनशील अर्थव्यवस्थाएं, जहां भी संभव हो, पूरी हो जाएं’।
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