सत्यखबर पिंजौर (यूनस सैमुएल) – लॉक डाउन में मिली ढील के बाद पिंजौर सरकारी अस्पताल में प्रवासियों की लगी भीड़, अपने घर जाने को बेताब है प्रवासी लोग, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पिंजौर में इन दिनों भारी संख्या में प्रवासी लोगों की भारी भीड़ जुट गई है जो अपने घर उत्तर प्रदेश, बिहार, और उत्तराखंड मध्य प्रदेश जाने को बेताब हैं। वहीं प्रशासन की ओर से एक लिस्ट थमाई गई है जो लोग बिहार झारखंड उत्तर प्रदेश या मध्य प्रदेश में जाना चाहते हैं और सरकारी अस्पताल में इससे पहले मेडिकल चैकअप करने के उपरांत ही इन्हें इनके निवास स्थान भेजने की तैयारी प्रशासन द्वारा की जाएगी।
पिंजौर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डॉ. धीरज कपूर ने बताया कि इनका पहले मैडीकल चैकअप किया जाएगा जिसके बाद इनका सर्टिफिकेट तैयार किया जाएगा। इसमें प्रशासन द्वारा मिली अनुमति के बाद उन्हें एक लिस्ट भेजी गई थी जिसमें इनका मेडिकल चेकअप करने को कहा गया है तभी और उनको एक सर्टिफिकेट प्रदान किया जाएगा। जिसके बाद यह अपने निवास स्थान को जा सकेंगे। उन्होंने बताया कि यह भीड़ हमने इकट्ठी नहीं की बल्कि यह सभी लोग अचानक यहां आ गए हमने इनके मोबाइल नंबर नोट कर लिए हैं और इन्हें घर जाने के लिए बोल दिया है ताकि हम फोन करके ही बुलाने का काम करेंगे।
प्रवासी लोगों के लिए प्रशासन या सरकार कोई भी खाने-पीने या राशन की नहीं कर रहा है कोई मदद, इसलिए घर जाना चाहते हैं प्रवासी लोग, यह कहना है पिंजौर और इसके आसपास गांव और शहर के रहने वाले प्रवासी लोगों का, प्रवासियों ने कहा कि हमारे पास ना राशन है ना खाना है ना ही जमा पूंजी है बस हम लोग यहां रहना नहीं चाहते हैं अपने अपने घरों को जाना चाहते हैं पिंजोर शहर के गांव के रहने वाले प्रवासी मजदूरों का कहना है कि ना ही सरकार ना हीं प्रशासन इनके खाने पीने की व्यवस्था की है अब तो रहने के लिए छत भी नहीं है क्योंकि मकान मालिक किराया मांग रहे हैं क्या करें मजबूरी ।है अपना दुखड़ा सुनाते हुए प्रवासी मजदूरों ने कहा कि पिंजौर अस्पताल से अपना मेडिकल सर्टिफिकेट लेने के बाद वह ट्रेन अपने पैतृक निवास स्थान पर जाना चाहते हैं।
गौरतलब है कि पिंजौर शहर में कुछ समाज सेवियों ने पहले लंगर शुरू कर रखा था ताकि लॉक डाउन में गरीबों और जरूरतमंद लोगों की मदद हो सके लेकिन अब यह लंगर की सेवा बंद होने के बाद इनके खाने-पीने का धंधा भी बंद हो गया है और इनका खाने-पीने का एक ही सहारा था वह भी बंद हो गया है। अब प्रवासी मजदूरों ने मांग की है कि इनके खाने पीने या राशन मुहैया कराने की मांग सरकार करे या फिर उन्हें भेजने का कोई इंतजाम सरकार को करना चाहिए।
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