हरियाणा

वकील को दबंगो की वकालत करना महंगा पड़ सकता है, P&H बार काउंसिल कर सकता है, प्रैक्टिस का लाइसेंस रद्द

सत्य ख़बर,गुरुग्राम,

सतीश भारद्वाज

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गुरुग्राम जिला अदालत का एक ऐसा मामला प्रकाश में आया है जिसमें एक वरिष्ठ वकील को अपने क्लाइंट की तरफ से अदालत में पेशी गवाही पर छूट के लिए गलत तथ्यों पर दरखास्त लगा दी, जिसमें उसको एक बड़ी राजनीतिक पार्टी का जिला अध्यक्ष बताया गया है। जबकि जिला अध्यक्ष का पद किसी अन्य नेता के पास है। जिससे जहां गुरुग्राम सहित प्रदेश भर के राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म है। वहीं उसे राजनीतिक पार्टी की भी साख दिनों दिन गिरती जा रही है। जिसको अदालत ने भी अपने जिमनी ऑर्डर में रिकॉर्ड पर लेकर आदेश जारी कर दिए हैं। जिससे जहां राजनीतिक दल के उक्त नेता की जमकर किरकिरी हो रही है, वहीं वरिष्ठ वकील पर भी बार काउंसिल की गाज गिर सकती है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार गुरुग्राम के एक नेता ने एक व्यक्ति पर पुलिस से मिलकर अवैध वसूली का फर्जी मुकदमा थाना न्यू कॉलोनी पुलिस स्टेशन में दर्ज कराया था। जिसकी गवाही के लिए 22 मई को शिकायतकर्ता को कोर्ट ने गवाही के लिए तलब किया था। जिसमें शिकायतकर्ता गवाही देने नहीं पहुंचे । वहीं उनके वकील ने शिकायतकर्ता अपने क्लाइंट की तरफ से छुट के लिए अदालत में आवेदन दिया था। जिसपर उसे क्लाइंट के हस्ताक्षर नहीं है मगर वकील की तरफ से हस्ताक्षर किए हुए हैं। वहीं क्लाइंट ने वकालतनामा भी वकील को साइन करके दिया हुआ है, कानून के जानकार बताते हैं कि जब क्लाइंट अपने वकील को वकालतनामा साइन करके दे देता है तो वह उसकी तरफ से कुछ भी पेपर साइन करके अदालत में पेश कर सकता है। वही इस मामले में कोर्ट में भी यह बात साबित हो चुकी है कि क्लाइंट की तरफ से जो उसका पद बताया गया है वह भी फर्जी है और वकील ने गलत दरखास्त लगाई है। जिससे वकालत का पैसा भी शर्मसार नजर आ रहा है, वहीं क्लाइंट पर भी अदालत की गाज गिर सकती है। वहीं कानून के जानकार बताते हैं कि अगर इस केस से प्रभावित पार्टी लिखित शिकायत पंजाब एंड हरियाणा बार काउंसिल में भेजती है तो वकील का प्रेक्टिस करने का लाइसेंस तक भी रद्द हो सकता है। वहीं इसी तरह एक चंडीगढ़ के वकील को भी अपने पद का रूप दिखाते हुए पिछले दिनों बार कौंसिल पंजाब एंड हरियाणा ने एक वकील को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। वहीं गुरुग्राम के एक नामी वकील के खिलाफ भी कई शिकायतें पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट तक भी इस समय चल रही है। वहीं अगर पंजाब एंड हरियाणा बार काउंसिल इसमें भेदभाव की नीति और एक पक्ष का सहयोग करती है तो उसकी भी शिकायत बार काउंसिल ऑफ इंडिया व सुप्रीम कोर्ट में दी जा सकती है। जिससे वकील की मुसीबतें खड़ी हो सकती है।
वहीं बताया गया है कि उक्त दबंग नेता ने निगम अधिकारियों और राजस्व विभाग के अधिकारियों से मिलीभगत से शहर में काफी राजस्व को नुकसान देने वाले कारोबार किए है, जिनकी शिकायत भी माननीय उच्च न्यायालय में पहुंच गई है।

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