सत्य खबर सफीदों, महाबीर मित्तल: एसडीएम दलबीर सिंह ने कहा कि कि गुरु-शिष्य की परंपरा देश की संस्कृति में पवित्र रिश्ता है, एक शिक्षक ही देश व समाज का शिल्पकार होता है। वह विद्याथिर्यो के चरित्र, क्षमता और भविष्य को आकार देता है, शिक्षक समाज के पथ-प्रदर्शक है तथा शिक्षा एवं संस्कार देने के साथ ही विद्यार्थियों के व्यक्तित्व विकास में उनकी महत्पूर्ण भूमिका है। दलबीर सिंह रविवार को शिक्षक दिवस पर जींद के राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमि विद्यालय में आयोजित शिक्षक सम्मान समारोह में बोल रहें थे। इस अवसर पर एसडीएम दलबीर सिंह ने छात्र संख्या बढ़ाने में उत्कृष्ठ कार्य करने वाले 18 सरकारी स्कूलों के मुखिया, 33 सीआरसी, एबीआरसी, बीआरपी और एसआइएम को सम्मानित किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि शिक्षक देश का भविष्य निर्माता है। कोरोना काल में शिक्षकों और बाकी स्टाफ ने सरकारी स्कूलों में छात्र संख्या बढ़ाने में सराहनीय कार्य किया। जिसके लिए वे बधाई के पात्र हैं। निजी स्कूलों की तुलना में सरकारी स्कूलों में उच्च शिक्षित और ज्यादा प्रशिक्षित शिक्षक हैं। वहीं सुविधाओं के मामले में भी सरकारी स्कूल बेहतर हैं। इसलिए अभिभावक अपने बच्चों का सरकारी स्कूलों में दाखिला कराएं। प्रदेश सरकार शिक्षा की बेहतरी के लिए काम कर रही है।
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एसडीएम दलबीर सिंह ने शिक्षक के संबध में बताया कि माता-पिता की मूर्त है गुरु। इस कलयुग में भगवान की सूरत है गुरु। शिक्षक को समर्पित यह पंक्ति बहुत ही अमूल्य है। वास्तव मे गुरु का स्थान माता-पिता व भगवान से भी ऊपर है। हमे जन्म माता-पिता से मिलता है लेकिन जीवन मे जीने की व कामयाब बनने की शिक्षा सिर्फ गुरू देता है। शिक्षक सिर्फ वही नहीं होता जो हमे स्कूली शिक्षा देता है बल्कि शिक्षक वो भी है जो हमे जीवन जीने की कला सिखाता है। शिक्षक छात्रों को जीने की राह दिखाता है। उन्होंने बताया कि समाज के शिल्पकार कहे जाने वाले शिक्षकों का महत्व कभी समाप्त नही होता, क्योंकि वह न सिर्फ विधार्थी को सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं बल्कि उसके सफल जीवन की नींव भी उन्हीं के हाथों रखी जाती है। एसडीएम ने कहा कि शिक्षक का एक व्यक्ति, समाज और और देश के निर्माण में बहुत बड़ा योगदान होता है, उसका प्रभाव व्यक्तित्व निर्माण पर होने से ,शिक्षक समाज के हर पहलू को प्रभावित करने की क्षमता रखता है। लेकिन शिक्षक सिर्फ स्कूल या कॉलेज में ही नहीं होते, अपितु जिनसे भी कुछ सीखने को मिलता है,वह सभी हमारे शिक्षक होते हैं। शिक्षक का स्थान ऊंचा होता है,पर उससे पहले उसे समर्पण भाव से ज्ञान अर्जित कर ज्ञान का स्रोत भी बनना होता है। जिला शिक्षा अधिकारी मदन चोपड़ा ने कहा कि सभी स्कूलों ने छात्र संख्या बढ़ाने में अच्छा काम किया है। मुख्यालय की गाइडलाइन के अनुसार 18 स्कूलों के मुखिया और अन्य स्टाफ को सम्मानित किया गया। इस मौके पर जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी सदानंद वत्स, डिप्टी डीईईओ बलजीत पूनिया मौजूद रहे।
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