सत्य खबर,नई दिल्ली
श्रीलंका में विक्रमसिंघे के राष्ट्रपति बनते ही प्रदर्शनकारियों पर सख्ती शुरू हो गई है। गुरुवार रात यहां ऐसी ही कार्यवाई देखने को मिली। सुरक्षाबलों ने विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों के अस्थाई शिविरों को नष्ट कर दिया गया। इस दौरान दोनों के बीच झड़प भी हुई, जिसमें 50 से ज्यादा लोग घायल बताए जा रहे हैं। दरअसल, श्रीलंका में अभी भी बड़ी तादात में प्रदर्शनकारी अपने घर नहीं लौटे हैं।
उन्होंने राजधानी में ही अस्थाई तंबू बना लिए, जिनमें वह रहते हैं। श्रीलंका के राष्ट्रपति सचिवालय के परिसर के बाहर नए श्रीलंकाई राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने के लिए सशस्त्र सैनिकों को तैनात किया गया था। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि सैकड़ों सुरक्षाकर्मी शुक्रवार तड़के राजधानी में सरकार विरोधी धरना शिविरों में घुस आए और टेंटों को उखाड़ फेंका। सशस्त्र बलों की कार्रवाई के बीच एक प्रदर्शनकारी ने कहा कि रानिल विक्रमसिंघे हमें खत्म करना चाहते हैं लेकिन हम कभी हार नहीं मानेंगे। हम अपने देश को ऐसी घिनौनी राजनीति से मुक्त बनाना चाहते हैं। साथ ही कहा कि श्रीलंकाई राष्ट्रपति सचिवालय के परिसर के बाहर सशस्त्र सुरक्षाकर्मियों द्वारा प्रदर्शनकारियों के टेंटों को तोड़ा जा रहा है।
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श्रीलंका अब तक के सबसे बड़े आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। इस अनिश्चितता के बीच, देश भर के श्रीलंकाई लोग कोलंबो में पासपोर्ट कार्यालय में एक नया पासपोर्ट प्राप्त करने या अपने पुराने को नवीनीकृत करने के लिए हफ्तों से लाइन में लगे हैं और इस संकटग्रस्त देश से बाहर निकलने के लिए बेताब हैं। कतार में इंतजार कर रहे एक व्यक्ति ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि देश में न खाना है, न ईंधन है और न पैसा है। हम क्या करेंगे और हम कैसे जीवित रहेंगे? मैं यहां अपना पासपोर्ट लेने और नौकरी के लिए कतर जाने के लिए आया हूं।
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