सत्य खबर, नई दिल्ली
श्रीलंका घोर आर्थिक संकट से जूझ रहा है. हालात इतने बदतर हो गये हैं कि लोग सड़कों पर उतर आए हैं. भारी संख्या में प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे के इस्तीफे की मांग करते हुए उनके आवास के बाहर प्रदर्शन किया. इस दौरान गुस्साए लोगों ने कई वाहनों में आग लगा दी.
बिगड़ते हुए हालात को देखते हुए श्रीलंका के राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे ने शुक्रवार को देश में आपातकाल की घोषणा कर दी है. श्रीलंका की अर्थव्यवस्था बहुत बुरे दौर से गुजर रही है. महंगाई चरम पर पहुंचने की वजह से आम जनजीवन पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है. देश की जनता सड़कों पर उतर गई है और राजधानी कोलंबो समेत पूरे देश में हिंसा और हंगामे का दौर चल रहा है.
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राष्ट्रपति आवास तक पहुंचे प्रदर्शनकारी श्रीलंकाई मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि राष्ट्रपति राजपक्षे के आवास के पास हुई हिंसा में एक चरमपंथी समूह शामिल था। इस हिंसक प्रदर्शन को लेकर कई प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया है। हालात की गंभीरता को समझते हुए देश में आपातकाल की घोषणा की जा रही है।
10 घायल, 50 हिरासत में
महंगाई और गिरती अर्थव्यवस्था से नाराज लोग राष्ट्रपति से पद छोड़ने की अपील कर रहे हैं. लोगों का मानना है कि देश की आर्थिक बदहाली के लिए मौजूदा सरकार की नीतियां ही जिम्मेदार है. राजधानी कोलंबो में हिंसा का दौर जारी है. लोगों ने गाड़ियों में आगजनी की. सुरक्षा बल और आम लोग आमने-सामने आ गए हैं. लोगों को भगाने के लिए फायर गैस छोड़ी गई.अब तक की हिंसा में श्रीलंका में 10 लोग घायल भी हुए हैं. तो 50 से ज्यादा लोगो को हिरासत में भी लिया गया है. हालात इतने बिगड़ गए कि स्पेशल टास्क फोर्स को बुलाना पड़ा, लेकिन हालात काबू में नहीं आ पा रहे हैं.
ईंधन की भारी कमी
आपको बता दें कि श्रीलंका इस समय भारी आर्थिक संकट से गुजर रहा है। देश में ईंधन के साथ-साथ कई जरूरी चीजों की भारी किल्लत है। कई-कई घंटों श्रीलंका में अब पावर कट हो रहा है। देश में हालात ऐसे हैं कि .शिक्षा विभाग के पास कागज और स्याही स्याही खत्म हो गई है. परीक्षा अनिश्चितकाल के लिए टाल दी गई हैं.
श्रीलंका के 2.2 करोड़ लोगों को काफी लंबे समय तक बिजली की कटौती का सामना भी करना पड़ रहा है. 13-14 घंटे बिजली काटी जा रही है. आलम ये है कि यहां लोगों के लिए दूध पेट्रोल से भी ज्यादा महंगा हो गया है और दो वक्त की रोटी भी मिलना मुश्किल हो गया है. हिंसक घटना को सरकार ने बताया ‘आतंकी कृत्य’श्रीलंका की सरकार ने राष्ट्रपति के आवास के पास हुई हिंसक घटना को ‘आतंकी कृत्य’ करार दिया. श्रीलंका के कई मंत्रियों ने इसके लिए विपक्षी दलों और उनसे जुड़े चरमपंथी तत्वों को जिम्मेदार ठहराया. एक मंत्री ने इस घटना को खुफिया तंत्र की विफलता मानते हुए राष्ट्रपति की जान को खतरा बताया. वहीं, तमिल नेशनल एलायंस के श्रीलंका के सांसद शिवगनम श्रीथरन का आरोप है कि सरकार आपदा आने की प्रतीक्षा में बैठी थी. अब राजपक्षे सरकार अपनी नाकामी का दोष कोविड-19 पर थोपने की कोशिश में लगी है. बृहस्पतिवार देर रात राजपक्षे के आवास के बाहर भारी संख्या में लोग जमा हो गये और राष्ट्रपति को हटाने की मांग करते हुए सरकार विरोधी नारे लगाने लगे. हालात को संभालने के लिए कथित तौर पर आंसू गैस और हल्के बल प्रयोग करने पड़े. इस दौरान कई पुलिसकर्मी घायल हो गये.
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