सत्यखबर निसिंग (सोहन पोरिया) – गांव डाचर स्थित गुरूद्वारा में हरवर्ष की भांति बीते 51 दिन से चल रहे 24 घंटे सतनाम श्री वाहे गुरू स्मिरन के अंतिम दिन महान गुरमत समागम आयोजित किया गया। जिसमें देश के विभिन्न हिस्से से पहुंचे संतों ने भाग लिया। समागम में संतों ने हजारों की संख्या में पहुंची साध संगत को गुरूओं की अमृतमयी वाणी के बखान से निहाल किया। कार्यक्रम का आयोजन संत बाबा नरेंद्र सिंह जी कारसेवा वाले के नेतृत्व में किया गया। जिन्होंने संगत को आपसी भाईचारे को कायम रखने का संदेश दिया। गुरूद्वारा में नाम स्मिरन के साथ चलाए जा रहे लड़ीवार पांच सौ अखंड पाठों का भोग डाला गया।
रागी व डाढ़ी जत्थों ने गुरूवाणी का पाठ किया। संत समागम में महापुरूषों ने संगत को गुरू के बताए मार्ग पर चलने का संदेश दिया। संत बाबा नरेंद्र सिंह ने कहा कि नित्य गुरूओं के नाम स्मिरन से कल्युग के प्रभाव को कम किया जा सकता है। गुरूओं की वाणी को सिरोधार्य कर आचरण करने वाले को संसारिक दुख नही सताते। उन्होंने कहा कि सेवा व गुरू स्मिरन से मनुष्य के सभी पाप नष्ट होकर मोक्ष की प्राप्ति होगी है। नाम स्मिरन से प्रभू को प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि गुरूग्रंथ साहिब में अंकित संतों की वाणी का श्रवण करने से सांसारिक दुखों से छुटकारा मिलता है। संतों के आशीर्वाद से जीवन में सदैव सफलता मिलती है। गुरू नाम स्मिरन करने पर वह किसी न किसी रूप में अपने बच्चों की मदद जरूर करता है।
संत बाबा कशमीरा सिंह अलहौरा वाले, बाबा गुरविंद्र सिंह मांडी वाले, बाबा दिलबाग सिंह आन्नंदपुर, बाबा सूखा सिंह कारसेवा करनाल व सत बाब गुरमीत सिंह कारसेवा वाले ने गुरूग्रंथ साहिब में ही अपने सभी गुरूओं को देखने की बात पर जोर देते हुए कहा कि श्री गुरूग्रंथ साहिब ही उनके जीवंत गुरू है। उन्होंने बताया कि सिखों के दसवें गुरू श्री गुरू गोविंद सिंह जी ने संगत को अमृत चखाकर 1699 में खालसा पंथ की स्थापना की थी। संगत के लिए गुरू की कृपा प्राप्त करने के लिए अमृत पान कर उनका स्मिरन करना जरूरी बताया गया। समागम के दौरान गुरू का लंगर अटूट बरताया गया।
हजारों की संख्या में पहुंची संगत ने एक साथ गुरू नाम का जाप किया। उन्होंने श्रीगुरूग्रंथ साहिब के समक्ष माथा टेक मन्नतें मांग संतों से आशीर्वाद लिया। गांव के बाहर लगे मेले में महिलाओं व बच्चों ने खरीदारी की।
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