हरियाणा

संविधान दिवस पर पीएम मोदी ने कह दी यह बड़ी बात

सत्य खबर, नई दिल्ली ।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुप्रीम कोर्ट में संविधान दिवस समारोह में हिस्सा लिया. जहां, कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि हमारा संविधान हमारे वर्तमान और भविष्य का मार्गदर्शक है. हमारे संविधान ने हर एक चुनौती का समाधान करने के लिए उचित मार्ग दिखाया है. इसी कालखंड में आपातकाल का समय भी आया था, लेकिन संविधान ने उसका भी समाधान निकाला. संविधान के वजह से आज जम्मू-कश्मीर में बाबा साहेब का संविधान पूरी तरह से लागू हुआ है. आज वहां पहली बार संविधान दिवस मनाया गया है.

 

आज भारत परिवर्तन के इतने बड़े दौर से गुजर रहा है, ऐसे समय में हमारा संविधान हमें रास्ता दिखा रहा है. भारत के भविष्य का मार्ग, अब सपनों और संकल्पों की सिद्धि का है. आज हर एक देशवासी का लक्ष्य भारत को विकसित बनाना है. बीते सालों में देश में लोगों के बीच आर्थिक और सामाजिक समानता लाने के लिए कई कदम उठाए गए. आज भारत वो देश है जो हर गरीब परिवार को 5 लाख रुपए तक की मुफ्त इलाज की सुविधा देता है. देश के हजारों जन औषधि केंद्रों पर 80 फीसदी डिस्काउंट पर मिलती है.

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पीएम ने आगे कहा कि हमारे संविधान निर्माता ये जानते थे कि भारत की आकांक्षाएं, भारत के सपने समय के साथ नई ऊंचाई पर पहुंचेंगे. वो जानते थे कि आजाद भारत की और भारत के नागरिकों की जरूरतें बदलेंगी, चुनौतियां बदलेंगी. इसलिए उन्होंने हमारे संविधान को महज कानून की एक किताब बनाकर नहीं छोड़ा बल्कि इसको एक जीवंत, निरंतर प्रवाहमान धारा बनाया.

 

प्रधानमंत्री ने कहा कि लोकतंत्र के इस महत्वपूर्ण पर्व का जब हम स्मरण कर रहे हैं, तब ये भी नहीं भूल सकते कि आज के ही दिन मुंबई में हुए आतंकी हमले की भी बरसी है. इस हमले में जिन व्यक्तियों का निधन हुआ, उन्हें मैं श्रद्धांजलि देता हूं. मैं देश का यह संकल्प भी दोहराता हूं कि भारत की सुरक्षा को चुनौती देने वाले हर आतंकी संगठन को मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा. पीएम मोदी ने कहा कि संविधान ने मुझे जो काम दिया है मैंने उसी मर्यादा में रहने का प्रयास किया है.

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पीएम के संबोधन से पहले पहले कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीजेआई संजीव खन्ना ने कहा कि संविधान न्यायिक समीक्षा के लिए अदालतों को शक्ति प्रदान करता है. हम जनहित याचिका पर विचार करते हैं और मामलों का निर्णय लेने में मदद के लिए एमाइकस नियुक्त करते हैं. जज के रूप में दृष्टिकोण और आलोचना मायने रखती है. खुला और पारदर्शी होना न्यायपालिका की सबसे बड़ी ताकत है, रचनात्मक होने के लिए उत्तरदायी होने से हम अधिक जवाबदेह बन जाते हैं.

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