हरियाणा

सतनाली मंडी की अव्यवस्थाओं को लेकर ग्रामीणों ने जताई नाराजगी, प्रशासन से की सुविधाएं उपलब्ध करवाने की मांग

सत्यखबर,सतनाली मंडी (मुन्ना लाम्बा)

मंडी में जल्द चमकेगा किसानों का सोना, लेकिन अभी भी इंतजाम अधूरे। गेंहू का सीजन सिर पर लेकिन सतनाली स्थित अनाज मंडी में किसानों की फसल सुरक्षित रखने के नहीं कोई भी पुख्ता इंतजाम। मंडी में चल रही असुविधाओं को लेकर किसान व ग्रामीणों में खाशा रोष व्याप्त है। आज सतनाली अनाज मंडी में सैकड़ों ग्रामीणों ने एकत्रित होकर सरकार व प्रशासन पर नाराजगी जताते हुए मांग की है कि मंडी में फसलों की खरीद-फरोख्त शुरू होने से सभी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएं ताकि यहां अपनी फसल लेकर आने वाले किसानों को किसी भी प्रकार की समस्या का सामना न करना पड़े। इस बारे में इनेलो वरिष्ठ कार्यकर्ता बल्ली शेखावत व राजपूत सभा महेंद्रगढ़ जिलाध्यक्ष सवाई सिंह राठौड़ ने बताया कि किसानों की अगेती गेंहू लगभग पक्क कर तैयार है। जिससे सहज अनुमान लगाया जा रहा है कि किसानों का खेतों में खड़ा पीला सोना जल्द ही मंडी में चमकेगा। लेकिन सतनाली मंडी में अभी तक फसल को लेकर प्रशासन व सरकार की तरफ से कोई भी पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए हैं तथा न ही मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हैं। और तो और मंडी में अब तक झाड़-झंखाड़ खड़े है जिनकी सफाई नहीं हो पाई है। मंडी में फसल लेकर पहुंचे किसानों को बिजली पानी सहित अन्य सुविधाएं उपलब्ध करवाना तो कोसों दूर है। मंडी में अभी तक खुले में शौच के कारण दुर्गंध का वातावरण है उसकी भी सफाई नहीं हो पाई है। जबकि गेंहू की कटाई का काम शुरू हो चुका है। न तो बिजली की व्यवस्था दुरूस्त है और न ही पानी व शौचालयों का प्रबंध है। प्रशासन की ओर से मंडी की फसलों की खरीद-फरोख्त की तैयारियां चल रही है। इस बार भी अनाज मंडी में टिन शैड न बनने के कारण किसानों को अपनी फसलें की सडक़ों पर ढेरी लगाने को मजबूर होना पड़ेगा। अगर ऐसे में बारिश का मौसम बन जाता है तो किसानों की बारह माह की खून-पसीने की कमाई सडक़ों पर बहती नजर आएगी। उसका जिम्मेवार कौन?

आपको बता दें कि लगभग दो वर्ष से शिक्षा मंत्री प्रो. रामबिलाश शर्मा आश्वासन देते आ रहे हैं कि जल्द से सतनाली अनाज मंडी में टिन शैड व मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवा दी जाएंगी लेकिन दो वर्ष के बाद शिक्षा मंत्री के आश्वासन हवा-हवाई होते नजर आ रहे हैं। अब यहां पर अपनी फसलें लेकर आने वाले किसानों को भय सता रहा है कि कहीं मंडी में फसल ले जाने पर बारिश न आ जाए।

 

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