कहा: सरकार द्वारा अभिभावकों को दिए गए संदेशों से पैदा हुई भ्रम की स्थिति
सत्यखबर, सफीदों: फेडरेशन ऑफ प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के हलकाध्यक्ष अरुण खर्ब ने पै्रस को जारी ब्यान में कहा कि केंद्र सरकार के आदेशानुसार लॉकडाउन 17 मई तक बढ़ा दिया गया है। जिससे यह बात बिल्कुल स्पष्ट हो गई है कि निकट भविष्य में स्कूल खोलने कि कोई संभावना नहीं है। बच्चों की शिक्षा काफी हद तक प्रभावित हो रही है क्योंकि ऑनलाइन शिक्षा देने का ढांचा हमारे देश में अभी पूर्ण रूप से विकसित नहीं है। अगर वास्तव में ही सरकार बच्चों को सही मायने में शिक्षा देना चाहती है और निजी स्कूलों को बचाना चाहती है तो स्कूलों को कुछ विशेष छूट देनी होगी। सरकार को स्कूल में अध्यापकों को स्कूल परिसर में आने की अनुमति देनी पड़ेगी। जिस प्रकार अन्य कार्यालयों में कर्मचारी आ रहे या विभिन्न उद्योगो में कम से कम 33 से 50 प्रतिशत तक कर्मचारियों को आने की अनुमति है, उसी प्रकार से स्कूलों में भी नियम बनाकर अध्यापकों को स्कूल में आने की अनुमति प्रदान की जाए ताकि अध्यापक कक्षा एवं विषयानुसार क्लास रूम में पढ़ाते हुए वीडियो बनाकर बच्चों को भेजी जा सके क्योंकि विभिन्न प्रकार के ऑनलाइन वीडियोंज बच्चो के स्तर से मेल नहीं खाते क्योंकि व्यवहारिक शिक्षा प्रत्यक्ष रूप से शिक्षकों द्वारा अपने तरीके से अपने बच्चों को दी जा सकती है। बच्चें भी अपने ही शिक्षकों द्वारा दी गई शिक्षा को सही ढंग से समझ और ग्रहण कर सकते है। स्कूलों में शिक्षित वर्ग हैं जो सोशल डिस्टेंसिंग का पालन अच्छे से कर सकता है। सरकार ने स्कूलों को अध्यापकों का वेतन देने के दिशा-निर्देश दिए है, स्कूल भी अपने अध्यापकों को वेतन देना चाहते है। स्कूलों का आय का एकमात्र साधन बच्चों द्वारा दी जाने वाली फीस ही होता है परंतु सरकार द्वारा फीस को लेकर अभिभावकों को समय-समय पर दिए गए संदेशों के माध्यम से भ्रम की स्थिति पैदा ही गई है। बहुत से अभिभावकों ने ऐसी धारणा बना ली है कि इस समय के दौरान फीस माफ हो जाएगी और देनी ही नहीं पड़ेगी। यह स्थिति स्कूलों के लिए इतनी भयावह को गई है कि आय के सभी साधन बंद होते दिखाई दे रहे है। बार-बार संदेश देने के बावजूद भी अभिभावक फीस जमा नहीं करवा रहे है। जब अभिभावक को फीस जमा करवाने संबंधी संदेश दिया जाता है तो वे कहते है कि स्कूल बंद है और वे फीस कैसे और कहां जमा करवाएं।
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