सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी नॉन-क्रीमी लेयर के भीतर उप-वर्गीकरण बनाने वाली हरियाणा की अधिसूचना रद्द कर दी है. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य को 3 महीने में एक नई अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया है. दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने जो अधिसूचना रद्द की है वो 17 अगस्त साल 2016 को जारी की गई थी.इस अधिसूचना के तहत नॉन क्रीमी लेयर के भीतर तीन लाख रुपए तक आय रखने वाली कैटेगरी के व्यक्तियों को प्रवेश और सेवाओं के मामले में वरियता दी गई थी.
सुप्रीम कोर्ट ने अधिसूचना को रद्द करते हुए आदेश दिया है कि अधिसूचना के आधार पर पहले से की जा रही राज्य सेवाओं में दाखिले और नियुक्तियों में खलल न डालने का भी निर्देश दिया है. न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश दिया.
नॉन क्रीमी लेयर सेगमेंट के भीतर 3 लाख रूपए तक अधिसूचित किया था. मामला हरियाणा राज्य द्वारा जारी एक अधिसूचना की वैधता से संबंधित था. राज्य सरकार ने अधिसूचित किया था कि छह लाख रुपए तक की वार्षिक आय वाले व्यक्तियों को ओबीसी कैटेगरी में नॉन क्रीमी लेयर, और क्रीमी लेयर के ऊपर होना चाहिए. हालांकि, 17.08.2016 को जारी परिपत्र के अनुसार, मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश आदि के मामले में तीन लाख रुपए तक की वार्षिक आय वाले वर्ग के व्यक्तियों को नॉन क्रीमी लेयर के भीतर वरीयता दी गई है.
उच्च न्यायालय ने 7 अगस्त, 2018 को दिए अपने फैसले में नॉन क्रीमी लेयर सेगमेंट के भीतर 3 लाख रुपये से कम की वार्षिक आय और 3 -6 लाख रुपए के भीतर वार्षिक आय के रूप में उप-वर्गीकरण करने वाली सरकारी अधिसूचना को असंवैधानिक करार दिया था. उच्च न्यायालय ने माना कि केवल आर्थिक मानदंडों पर नॉन क्रीमी लेयर के भीतर उप-वर्गीकरण को सही ठहराने के लिए कोई डेटा नहीं था.
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