सत्य खबर, नई दिल्ली
देश भर से ज्यादातर लोग जब भी बाहर सफर पर जाते हैं तो सॉफ्ट ड्रिंक्स नींबूज मतलब नींबू पानी जरूर पीते होंगे। खासकर के गर्मियों के मौसम में क्योंकि इसे स्वास्थ्य के नजरिए से भी अच्छा माना जाता है और सहज उपलब्ध भी है। वहीं अक्सर लोगों में इसे लेकर एक बड़ी उलझन भी देखने को मिलती है।
दरअसल कुछ लोग इसे सिर्फ नींबू पानी कहते हैं तो कुछ लोग इसे सोड़ा लाइम या फिर फलों के गूदे और रस से बना पेय भी कहते हैं। ऐसे में अगर आप भी इस उलझन के शिकार है तो जल्द ही इसका समाधान सुप्रीम कोर्ट करने वाला है।
अब उच्चत्तम न्यायलय बतायेगा ये नींबू पानी है या फ्रूट जूस
बता दें कि अब इस बात का फैसला सुप्रीम कोर्ट में होगा की नींबूज सिर्फ नींबू पानी है या सोडा लाइम या फिर फ्रुट जूस। दरअसल सुप्रीम कोर्ट इस विवाद को लेकर सुनवाई करने के लिए तैयार हो गया है। इस संबंध में हैदराबाद सेंट्रल एक्साइज आयुक्त द्वारा दाखिल की गई याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है।
शीर्ष अदालत अब इस बात पर विचार करेगी कि नींबूज पर उत्पाद शुल्क तय करने के लिए इसे नींबू पानी के तौर पर वर्गीकृत किया जाए या फलों के पल्प या रस से बने ड्रिंक के तहत। इस विवाद पर जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बी वी नागरत्ना की बेंच अब सुनवाई करेगी।
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ये है नींबू पानी को लेकर विवाद
नींबू पानी को लेकर विवाद सेंट्रल एक्साइज और आराधना फूड कम्पनी के बीच उत्पाद शुल्क की श्रेणी को लेकर है। दरअसल आराधना फूड्स नामक कंपनी की अपील थी कि इसे इसके वर्तमान वर्गीकरण के बजाय नींबू पानी कहा जाए।
वही सेंट्रल एक्साइज विभाग का कहना है कि नींबूज को सेंट्रल एक्साइज एंड सर्विस टैक्स हैदराबाद यानी सीईटीएच 2022 के प्रावधान 90/20 के तहत फलों के गूदे और रस से बने पेय के तहत माना जाना चाहिए। जबकि अराधना फूड्स का मानना है कि ये तो मात्र नींबू पानी ही है।
फिलहाल इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने हैदराबाद सेंट्रल एक्साइज आयुक्त की याचिका पर आराधना फूड कम्पनी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2015 से निंबूज का ये मामला अदालत में चला आ रहा है। ऐसे में अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ही निंबूज की कैटेगरी साफ हो पायेगी तथा लोगों को पता चलेगा की यह नींबू पानी है या फ्रूट जूस।
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