सत्यखबर, जींद: उपायुक्त डॉ० आदित्य दहिया ने बताया की किसानों द्वारा अपनाए जा रहे धान-गेहूं के फसल चक्र के कारण हर वर्ष भू-जल स्तर गिरता जा रहा है । इस समस्या के समाधान के लिए राज्य सरकार द्वारा मेरा पानी मेरी विरासत स्कीम लागू की गई है । इस योजना के अंतर्गत फसल विविधिकरण अपनाने वाले किसानों को सात हजार रुपये प्रति एकड़ की प्रोत्साहन राशी दी जायेगी। कृषि विभाग के उप निदेशक डॉ० सुरेंदर मलिक ने इस सम्बंध में विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि हरियाणा के अस्तित्व में आने के समय हरियाणा में खरीफ की फसलों में बाजरा, ज्वार तथा कपास होती थी । उस समय धान की बिजाई 5 हजार हेक्टेयर, बाजरा 54 हजार हेक्टेयर, ज्वार 32 हजार हैक्टेयर, गन्ना 9 हजार हैक्टेयर तथा कपास की फसल 16 हजार हैक्टेयर में की जाती थी । लेकिन जिला जींद में इस समय धान की बिजाई एक लाख 46 हजार हैक्टेयर, बाजरा 8 हजार हेक्टेयर, गन्ना 4 हजार हैक्टेयर तथा कपास की फसल 62 हजार हैक्टेयर में की जाती है और ज्वार की फसल केवल चारे के रूप के लिए बोई जाती है। उन्होंने बताया कि धान के बढ़ते रकबे के कारण भू-जल-स्तर लगातार गिरता जा रहा है । जिला में 8० प्रतिशत पानी की गुणवता सही नहीं है जिसके प्रयोग से भूमि की उर्वरा शक्ति लगातार गिरती जा रही है और पैदावार में भी गिरावट दर्ज की जा रही है। इसी को देखते हुए हरियाण सरकार द्वारा मेरा पानी मेरी विरासत योजना लागू की गई है । वैसे तो यह स्कीम हरियाणा के 4 जिलों फतेहाबाद, कैथल, कुरुक्षेत्र तथा सिरसा के 8 खण्डों में लागू की गई है । लेकिन जींद जिले में भी किसान इस स्कीम का लाभ प्राप्त कर सकतें है ।
कैसे मिलेगा इस स्कीम के अंतर्गत किसानो को लाभ : सुरेन्द्र मलिक ने बताया कि इस स्कीम के अंतर्गत लाभ प्राप्त करने के लिए जिला के किसानों को फसल विविधिकरण अपनाते हुए धान की जगह कपास, बाजरा, मक्का या अरहर फसल की बिजाई करनी होगी । लाभ प्राप्त करने के लिए किसानों को अपना पंजीकरण पोर्टल पर करवाना होगा ,जो कृषि विभाग द्वारा शीघ्र ही लांच किया जाएगा । इस स्कीम के अंतर्गत किसान जितना धान का रकबा कम करेंगें 7 हजार रूपये प्रति एकड़ के हिसाब से उतना ही लाभ प्राप्त कर सकेंगें। जिसके लिए किसानों को गत वर्ष खरीफ 2०19 की गिरदावरी से संबन्धित पटवारी से तस्दीक करवानी होगी। इस वर्ष धान की बुआई का रकबा कम करते हुए किसान जो अन्य फसल कपास, बाजरा, मक्का या अरहर की बिजाई करेगा उसका सत्यापन कृषि द्वारा किया जाएगा और उसके बाद इसका मिलान पटवारियों द्वारा की जाने वाली गिरदावरी से किया जाएगा उसके उपरान्त ही सही पात्र किसान जिसने धान की जगह कपास, बाजरा, मक्का या अरहर की बिजाई की है, को लाभ दिया जाएगा । पोर्टल पर पंजीकरण करवाने के किसानों को आधार कार्ड, बैंक खाता, आईएफएससी कोड तथा पैन नंबर की जरूरत पड़ेगी । इस स्कीम का लाभ चाहने वाले किसान भाई अपना पूरा विवरण संबन्धित खंड कृषि अधिकारी/ कृषि विकास अधिकारी/ बीटीएम तथा एटीएम को जमा करवा सकते है । सभी किसानों महामारी को देखते हुए सभी किसान भाईयों से यह भी अनुरोध है की आपस में सामाजिक दुरी बनाए रखें और संबंधित कृषि अधिकारियों तथा कार्यकर्ताओं से मिलने से पूर्व उनसे दूरभाष से बात कर लेवें।
Aluminium scrap pelletization Aluminum scrap reclamation Scrap metal reutilization yard